सिस्टम यानी व्यवस्था की तानाशाही, बर्बरता, संवेदनहीनता और भ्रष्टता से तंग आकर इस देश में संवेदनशील लोग खुद का जीवन खत्म करने पर मजबूर हो जाते हैं किन्तु गत 8 नवंबर को मुजफ्फरनगर के कस्बा बुढ़ाना के डी.ए.वी. कॉलेज के बी.ए. द्वितीय वर्ष के छात्र उज्ज्वल राणा को 5000 हजार रुपये ट्यूशन फीस जमा न कराने पर प्राचार्य एवं पुलिस कर्मियों ने गाली गलौज कर, बाल खींचकर बुरी तरह अपमानित किया। उज्ज्वल ने विश्वविद्यालय की परीक्षा फीस ऑनलाइन जमा करा दी थी और एक सप्ताह में ट्यूशन फीस भी जमा करने की प्राचार्य से प्रार्थना की थी। तब तक गन्ने के मूल्य का भुगतान आने की उम्मीद थी।
प्राचार्य प्रदीप कुमार ने संवेदनहीनता की सभी सीमायें लांघते हुए पहले 7 नवंबर को अपने कार्यालय में और फिर कॉलेज गेट पर लाकर पीटा और अपमानित किया। यही नहीं, पुलिसकर्मी जानवीर, विनीत और नन्दकिशोर को पीटा। इससे आहत होकर अगले दिन यानी शनिवार 8 नवंबर को उज्ज्वल फिर विद्यालय पहुंचा, कॉलेज के एक कक्ष में पैट्रोल छिड़का, खुद को आग लगा ली। आत्महत्या से पहले उसने एक वीडियो बनाया जिसमें उज्ज्वल कह रहा है- 'मेरे साथ ऐसी घटना हुई, जिसने मुझे तोड़ कर रख दिया। प्राचार्य प्रदीप कुमार ने मेरे साथ अपमानजनक व्यवहार किया। मुझे गाली दी, मेरे बाल नोचे और मेरी पिटाई की। मैंने सिर्फ गरीब और असहाय छात्र, जो फीस नहीं होने के कारण, परीक्षा फार्म नहीं जमा कर पा रहे थे, उनकी मदद करने की आवाज़ उठाई थी, इसकी सजा डरा कर अपमानकर दी गई। न्याय की बात की तो पुलिस बुला ली। मुझे पुलिसकर्मी जानवीर, नन्द किशोर और विनीत से न्याय की उम्मीद थी, उन्होंने भी मुझे गालियां दीं। मुझे डराने-धमकाने की कोशिश की। इन सबके शब्दों ने मेरी आत्मा को गहरी ठेस पहुंचाई है। मुझे तोड़ दिया। ईमानदारी और कानून के प्रति सच्चाई की कड़ी टूट गई है। मैं खुद से ही सवाल पूछने लगा हूँ कि क्या सच्चाई के लिए आवाज उठाना गलत है? मैं दर्द से गुज़र रहा हूं लेकिन डरूंगा नहीं। यदि मैं आत्महत्या करता हूं तो इसका दोषी प्राचार्य, पुलिसकर्मी नन्द किशोर, जानवीर और विनीत पर होगी।'
उज्ज्वल के खुद को आग लगाने से विद्यालय में हड़कंप मच गया। गंभीर हालत में पहले मेरठ, फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया। 9 नवंबर को 80 प्रतिशत जल चुके उज्ज्वल ने दम तोड़ दिया। बहन सलोनी ने दो बार तहरीर दी। कॉलेज प्रबंधक अरिवन्द कुमार गर्ग, प्राचार्य प्रदीप कुमार, पीटीआई संजीव कुमार, दरोगा नन्द किशोर, सिपाही जानवीर सिंह तथा विनीत कुमार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ।
प्राचार्य के व्यवहार से उज्ज्वल इतना पीड़ित था कि उसने आत्महत्या से पूर्व अपने दो वीडियो बनाये। दिल्ली ले जाते समय और सफदरजंग अस्पताल में भी वह अपनी पीड़ा का बयान करता रहा और मृत्यु से पूर्व अस्पताल में ऑक्सीजन मास्क हटवा कर अपने साथ हुए बर्बर व्यवहार का जिक्र किया।
उज्ज्वल की मौत न सिर्फ मुजफ्फरनगर तथा बागपत जिले के लोगों को दहलाने वाला हादसा है बल्कि इसने पूरी शिक्षा व्यवस्था को दहला दिया। उज्ज्वल की अकाल मृत्यु से आज हर व्यक्ति गमगीन है। बुढ़ाना की शोकसभा में सभी दलों, संगठनों के लोगों ने दुःखी मन से शोक भी जताया और रोष भी प्रकट किया है।
पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ संजीव बालियान ने शोक सभा में ठीक ही कहा है कि दुखद घटना सिस्टम की बुराइयों और दूषित व्यवस्था प्रणाली को दर्शाती है। शिक्षा का अधिकार कानून, नई शिक्षा नीति, शिक्षा व शिक्षक दिवस, गोष्ठियों, सेमीनार, उपदेश उज्ज्वल की आत्महत्या जैसे हादसे क्यूं होने देते हैं? गत वर्ष मां शाकुम्भरी विश्वविद्यालय द्वारा शुल्क बढ़ाये जाने पर छात्र-छात्रायें आंदोलित हुए थे। अभी मीरांपुर से समाचार आया कि ग्राम किथौड़ा के विद्यालय की प्राचार्या ने बिना विश्वविद्यालय की अनुमति के ट्यूशन फीस में 1000रुपये की वृद्धि कर दी तो छात्र-छात्राएं आंदोलित हो पड़े।
इसी मुजफ्फरनगर में स्वामी कल्याण देव जैसी विभूति उत्पन्न हुई जिसने 250 से अधिक विद्यालय स्थापित कर शिक्षा की ज्योति फैलाई और शिक्षा ऋषि कहलाये। आज अंगूठा छाप नेता भी मेडिकल और इंजीनियर कॉलेज खोल कर शिक्षा को रोजगार बना मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
सांसद राजकुमार सांगवान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंटकर उनसे उज्ज्वल राणा के प्रकरण में न्याय की मांग की है। मुख्यमंत्री जी न्याय दिलाने के साथ सड़ चुकी शिक्षा प्रणाली को सुधारने का भी प्रयास करें तो लाखों उज्ज्वलों पर उपकार होगा।
गोविंद वर्मा (संपादक 'देहात')