जाति जनगणना पर अनुप्रिया पटेल का सवाल- सरकार में रहते राहुल गांधी ने क्यों नहीं उठाया कदम?

केंद्रीय राज्यमंत्री और अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने जाति जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है. बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ लंबे समय से हम सब लोग इस पर मिलकर काम कर रहे हैं. मैने जब-जब पीएम के सामने दबे-कुचले-वंचित और शोषित लोगों के मामले को उठाया, उन्होंने इस पर कदम उठाया. हम इस मामले को लगातार उठाते रहे. ये सामाजिक न्याय का फैसला है, जो मोदी सरकार ने लिया है.

अनुप्रिया पटेल ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और सपा सांसद अखिलेश यादव पर तंज भी कसा. उन्होंने कहा कि ये दोनों नेता सिर्फ क्रेडिट ही ले सकते हैं. राहुल गांधी जब सत्ता में थे तब इस पर फैसला क्यों नहीं लिया. ऐसे लोगों की नीयत साफ नहीं. सामाजिक न्याय के विषय पर मोदी और एनडीए की सरकार ने कभी समझौता नहीं किया. राहुल गांधी गफलत में हैं. जब सरकार में थे तो क्यों नहीं किया. हमारी एनडीए सरकार ने इस पर काम किया.

हमने ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया

उन्होंने कहा कि हमने ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया. नीट में ओबीसी कोटा लागू किया. ये सब मामले तो यूपीए सरकार में भी उठे थे, तब क्यों नहीं किया? हाल के चुनाव में यूपी में हमें अफवाह और गलत प्रचार के चलते नुकसान हुआ. खैर जो बीत गया सो बीत गया. देश के लोगों को हमारी सरकार पर भरोसा है. हम सामाजिक न्याय को लेकर कटिबद्ध हैं, जिसकी मिसाल ये जाति जनगणना है.

इस फैसले को बिहार चुनाव से जोड़ने की जरूरत नहीं

अनुप्रिया पटेल ने कहा कि इस फैसले को बिहार चुनाव से जोड़ने की जरूरत नहीं. चुनाव तो होते रहते हैं. ये व्यापक हित में किया गया है. ये कोई नई मांग नहीं है. जो विकास की दौड़ में पीछे हैं, हम उनके साथ खड़े हैं. विपक्ष डेडलाइन पर भाषण ना दे. कांग्रेस के पास भी डेडलाइन बनाने का मौका था पर नहीं बना पाए क्योंकि उनकी नीयत नहीं थी. रही बात डेडलाइन की तो हमें 6 दशक का समय नहीं लगेगा. सरकार जल्द बताएगी कि ये कब शुरू होगा.

विपक्ष की सरकारों ने पिछड़ों के आरक्षण को रोका

उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण का फैसला भी हमारी सरकार ने किया जो कई साल से लटका हुआ था. हम कांग्रेस की तरह जाति गणना नहीं कराएंगे, जिसमें कार्यप्रणाली की कमियां और गलतियां थीं. हम पारदर्शी तरीके और समय से करेंगे. आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात जहां तक है तो जब ये विषय आएगा तो सरकार उसको देखेगी. विपक्ष की सरकारों ने पिछड़ों के आरक्षण को रोका. लोगों को इन पर भरोसा नहीं है. यूपीए की सरकार ने तो नौकरियों में बैकलॉग तक की समीक्षा नहीं की थी.

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