रायचूर (कर्नाटक)। एआईएमआईएम अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार को वक्फ कानून को लेकर आड़े हाथों लिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार वक्फ की एक भी जमीन को मुस्लिम समुदाय से नहीं छीन सकती।
रायचूर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने नए वक्फ कानून को “काला कानून” करार दिया और इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25, 26 और 29 के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि यह कानून नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
हिंदू और मुसलमानों के लिए दोहरी व्यवस्था का सवाल उठाया
ओवैसी ने सभा के दौरान रायचूर के हिंदू समुदाय को संबोधित करते हुए पूछा, “जब केवल हिंदू ही एंडोवमेंट बोर्ड में सदस्य बन सकते हैं, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम कैसे सदस्य हो सकते हैं?” उन्होंने इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन बताया।
‘पांच साल के मुसलमान’ वाली व्यवस्था पर भी जताई आपत्ति
ओवैसी ने वक्फ कानून में शामिल उस प्रावधान पर भी सवाल खड़े किए, जिसमें पांच साल से मुसलमान होने की शर्त को शामिल किया गया है। उन्होंने पूछा कि आखिर यह शर्त कहां से आई और इसका क्या आधार है?
कानून को बताया असंवैधानिक, सरकार ने दी सफाई
एआईएमआईएम प्रमुख लंबे समय से इस संशोधित कानून का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता कमजोर होगी और धार्मिक संपत्तियों पर सरकार का हस्तक्षेप बढ़ेगा। दूसरी ओर, सरकार का पक्ष है कि वक्फ अधिनियम में किए गए बदलावों का उद्देश्य संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और धर्मनिरपेक्ष बनाना है।
सरकार का कहना है कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करते। गौरतलब है कि यह विधेयक 2 अप्रैल को लोकसभा और 3 अप्रैल को राज्यसभा से पारित हुआ, जिसे 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद कानून का रूप दे दिया गया।