सुप्रीम कोर्ट में वैवाहिक विवादों से जुड़े कई मामले आते हैं, और हाल ही में एक ऐसा केस सामने आया जिसमें पति-पत्नी के बीच मतभेद इस हद तक बढ़ गए कि बात तलाक तक पहुंच गई। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों को अलग होने की सलाह दी और एक अनोखा सुझाव देते हुए कहा कि वे किसी ज्योतिषी से उचित समय जानकर तलाक की प्रक्रिया पूरी करें।
कोर्ट ने माना कि रिश्ता पूरी तरह टूट चुका है और साथ रहना अब संभव नहीं है। इसी के तहत दोनों को परामर्शपूर्वक अलग होने के लिए चार सप्ताह का समय भी दिया गया है।
भारत में तलाक की बढ़ती प्रवृत्ति
समय के साथ देश में तलाक के मामलों में तेजी देखी जा रही है। कभी भारत में तलाक की दर दुनिया में सबसे कम मानी जाती थी—महज 1%—लेकिन अब स्थिति बदल रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में भारतीय दंपतियों में तलाक लेने की प्रवृत्ति में स्पष्ट इजाफा हुआ है।
महिलाएं बदल रही हैं सोच
डेटिंग प्लेटफॉर्म ‘बम्बल’ के एक सर्वे में यह बात सामने आई कि लगभग 81% भारतीय महिलाएं अब अकेले रहना बेहतर मानती हैं। वहीं, ‘इन्वेस्टोपीडिया’ की एक स्टडी में बताया गया कि करीब 65% नवविवाहित जोड़े अभी संतान नहीं चाहते।
तलाक बढ़ने के पीछे कारण
रिलेशनशिप कोच लीना परांजपे का मानना है कि तलाक के मामलों में वृद्धि की एक बड़ी वजह महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता है। वैश्विक स्तर पर लगभग 70% तलाक की पहल महिलाएं कर रही हैं। भारत में भी अब महिलाएं असंतोषजनक वैवाहिक जीवन को छोड़ने से नहीं हिचक रही हैं।
वहीं, मेंटर और कोच दीपिका राठौर का कहना है कि अब समाज में जल्दी शादी का दबाव कम हुआ है और महिलाएं पारिवारिक बोझ के बजाय अपने फैसले खुद ले रही हैं।