मोटापे पर लगाम लगाने केंद्र सरकार की नई पहल, संस्थानों में लगेगा ‘ऑयल और शुगर बोर्ड’

देश में बढ़ते मोटापे और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने एक बड़ी स्वास्थ्य पहल शुरू की है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों को निर्देशित किया है कि वे अपने परिसरों में ऐसे बोर्ड लगाएं, जिन पर खाद्य पदार्थों में मौजूद तेल और चीनी की मात्रा स्पष्ट रूप से दर्शाई जाए। समोसा, कचौड़ी, वड़ा पाव और फ्रेंच फ्राइज जैसे लोकप्रिय स्नैक्स के पोषण संबंधी तथ्यों को उजागर करने का यह प्रयास लोगों को स्वस्थ विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

क्या है ‘ऑयल और शुगर बोर्ड’ योजना?
मंत्रालय चाहता है कि दफ्तरों, स्कूलों और सार्वजनिक संस्थानों में प्रदर्शित बोर्डों या डिजिटल पोस्टर्स के माध्यम से यह जानकारी दी जाए कि खाने की चीजों में कितनी छिपी हुई वसा और चीनी मौजूद है। इसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता बढ़ाना और उन्हें संतुलित आहार के प्रति जागरूक करना है।

मंत्रालयों को दिए गए सुझाव:

  • सभी कार्यालयों और संस्थानों में ‘ऑयल और शुगर बोर्ड’ प्रदर्शित करना
  • कार्यालयी स्टेशनरी (लेटरहेड, लिफाफे, नोटपैड आदि) पर स्वास्थ्य संदेश प्रकाशित करना
  • कर्मचारियों को कम वसा, अधिक फल-सब्जी और सीमित मीठे पेय की सुविधा देना
  • शारीरिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना, जैसे सीढ़ियों का उपयोग, कार्यस्थल पर वॉकिंग ट्रैक बनाना और छोटे व्यायाम ब्रेक लेना

स्वास्थ्य बोर्ड कहां लगाए जाएंगे?
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, ये बोर्ड कैफेटेरिया, लॉबी, मीटिंग रूम और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जाएंगे ताकि कर्मचारी और आम नागरिक लगातार जागरूक रहें और बेहतर जीवनशैली की ओर बढ़ें।

स्टेशनरी पर स्वास्थ्य संदेश भी अनिवार्य
मंत्रालय ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी मंत्रालय अपनी स्टेशनरी पर छोटे-छोटे प्रेरक स्वास्थ्य संदेश छापें, जैसे – “कम चीनी, कम तेल – स्वस्थ जीवन का पहला कदम”, या “रोज चलें कुछ कदम, सेहत रहे हरदम”। यह प्रयास नागरिकों को रोजाना की आदतों में बदलाव लाने की याद दिलाएगा।

बढ़ता मोटापा बनी चिंता का कारण
स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलीला श्रीवास्तव ने हाल में भेजे गए एक पत्र में बताया कि देश में मोटापे के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में हर पांच में से एक वयस्क मोटापे से ग्रस्त है। लैंसेट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत में 18 करोड़ मोटे वयस्क थे, जो 2050 तक 44.9 करोड़ तक पहुंच सकते हैं।

मोटापे से जुड़ी बीमारियां और खतरे
मोटापे से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, कैंसर, मानसिक तनाव और गतिशीलता में कमी जैसी समस्याएं जुड़ी हैं। यह न केवल जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर आर्थिक बोझ भी बढ़ाता है।

प्रधानमंत्री मोदी की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 2025 में देहरादून में हुए राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन अवसर पर ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ को दोहराते हुए देशवासियों से आह्वान किया था कि वे तेल की खपत में 10% तक की कमी लाएं और एक संतुलित जीवनशैली को अपनाएं। अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भी उन्होंने देश को ‘स्वस्थ भारत’ बनाने की बात कही थी।

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