असम के धुबरी जिले में मंदिरों पर हमले की आशंका के बीच राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि यदि कोई व्यक्ति धार्मिक स्थलों पर हमला करने या सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करता है, तो उस पर शूट एट साइट की कार्रवाई की जाए। इस फैसले के बाद पूरे देश में राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के बीच तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात का विरोध, मौलाना रजवी का बयान
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इस आदेश पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह अल्पसंख्यकों को डराने और निशाना बनाने की रणनीति है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर मुस्लिम समाज के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया रखने का आरोप लगाया।
एनआरसी और अब सुरक्षा के नाम पर टारगेटिंग का आरोप
मौलाना रजवी ने कहा कि पहले एनआरसी के माध्यम से कई लोगों को राज्य से बाहर किया गया, और अब मंदिरों की सुरक्षा के नाम पर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने इस आशंका को पूरी तरह आधारहीन बताया और कहा कि भारत में सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे के धार्मिक स्थलों का सम्मान करते हैं।
गोलियां चलाने का आदेश असंवैधानिक: रजवी
उन्होंने यह भी कहा कि गोली मारने जैसे आदेश संविधान के मूल सिद्धांतों और कानून व्यवस्था के खिलाफ हैं। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने वाला फैसला है और न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार करता है। उन्होंने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप कर राज्य सरकार को संतुलित और न्यायसंगत दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया।
धुबरी में विशेष संवेदनशीलता, संतुलित नीति की मांग
धुबरी जिला मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, और ऐसे क्षेत्रों में कठोर सरकारी निर्देशों से देश में चिंता और बहस का माहौल बन गया है। मौलाना रजवी ने यह भी कहा कि इस तरह की कार्रवाइयां एक समुदाय को राज्य से बाहर करने की सोच का हिस्सा लगती हैं। उन्होंने केंद्र से अपील की है कि धार्मिक सौहार्द और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सधे हुए और संवेदनशील उपायों को प्राथमिकता दी जाए।