जयपुर: पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्री महेश जोशी को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। करीब सात महीने की न्यायिक हिरासत के बाद जोशी अब जयपुर सेंट्रल जेल से बाहर आ सकेंगे।

जोशी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 24 अप्रैल को 900 करोड़ रुपए के जल जीवन मिशन (JJM) घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद राजस्थान हाईकोर्ट में उनकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच के सामने सुनवाई के बाद उन्हें जमानत प्रदान की।

गौरतलब है कि गिरफ्तारी के बाद जोशी की पत्नी का इसी साल 28 अप्रैल को निधन हो गया था, जिस पर अदालत ने उन्हें चार दिन की अस्थायी जमानत दी थी। इसके बाद वे लगातार जेल में ही रहे।

बचाव पक्ष की दलीलें
जोशी के वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और विवेक जैन ने कोर्ट में कहा कि उनके खिलाफ आरोपों की पुष्टि नहीं होती। उन्होंने तर्क दिया कि यदि रिश्वत ली ही गई होती, तो राशि क्यों वापस की गई। ED के अनुसार जोशी ने अपने बेटे की फर्म को लोन दिलाने के नाम पर 55 लाख रुपए की रिश्वत ली थी, जिसे बाद में फर्म को वापस कर दिया गया। वकीलों का कहना था कि सात महीने जेल में रहने के बावजूद मामला अभी तक ट्रायल के चरण में भी नहीं आया, इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।

क्या है मामला
जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए DI पाइपलाइन लगाने का काम था। आरोप है कि वास्तविक रूप से DI पाइपलाइन की बजाय HDPE पाइप लगाई गई और पुरानी पाइपलाइन को नया दिखाकर भुगतान लिया गया। ED का दावा है कि इस तरीके से करोड़ों रुपए की गड़बड़ी हुई।