नई दिल्ली। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के संदर्भ में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को स्पष्ट कहा कि भारत की रक्षा करना और उसके विरुद्ध दुर्भावना रखने वालों को मुंहतोड़ जवाब देना उनकी सर्वोच्च जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि बतौर रक्षा मंत्री उनका दायित्व है कि सशस्त्र बलों के साथ मिलकर देश की सीमाओं की रक्षा सुनिश्चित करें।
यह बयान उन्होंने ‘संस्कृति जागरण महोत्सव’ को संबोधित करते हुए दिया। इस अवसर पर उन्होंने राजनीति के मूल स्वरूप पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “राजनीति शब्द ‘राज’ और ‘नीति’ से मिलकर बना है, परंतु दुर्भाग्यवश आज यह शब्द अपना वास्तविक अर्थ खोता जा रहा है। हमें इसे फिर से सकारात्मक दिशा में स्थापित करना होगा। इसके लिए मुझे संतजनों और जनता का आशीर्वाद चाहिए।”
‘भारत की रक्षा में संत और सैनिक दोनों की भूमिका अहम’
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय सैनिक जहां सीमाओं पर डटे रहकर देश की भौतिक सुरक्षा करते हैं, वहीं संत-महात्मा देश के आध्यात्मिक स्वरूप की रक्षा में लगे रहते हैं। उन्होंने इसे भारत की विशिष्ट परंपरा बताया। उन्होंने यह भी कहा कि देश पर नजर गड़ाने वालों को सख्त जवाब देना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है।
प्रधानमंत्री की दृढ़ता पर जताया भरोसा
रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की भी सराहना की। उन्होंने कहा, “देशवासी प्रधानमंत्री की कार्यशैली और उनके संकल्प से भलीभांति परिचित हैं। वे जोखिम उठाने में पीछे नहीं रहते और उनके नेतृत्व में देशवासी जो चाहते हैं, वह निश्चित रूप से पूरा होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का जो लक्ष्य रखा है, वह महत्वाकांक्षी जरूर है, परंतु पूरी तरह से संभव है।
जापानी रक्षा मंत्री से सोमवार को होगी बैठक
राजनाथ सिंह सोमवार को जापान के रक्षा मंत्री जनरल नाकातानी से नई दिल्ली में मुलाकात करेंगे। यह द्विपक्षीय वार्ता क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर केंद्रित होगी, साथ ही दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और अधिक सुदृढ़ करने पर भी चर्चा होगी। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बना हुआ है। भारत और जापान के बीच वर्षों से मजबूत रणनीतिक साझेदारी रही है, विशेषकर रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में।
छह महीने में दूसरी बार आमने-सामने होंगे दोनों नेता
यह बैठक दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच पिछले छह महीनों में दूसरी बार हो रही है। इससे पहले, नवंबर 2024 में लाओस में आयोजित आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक के अवसर पर दोनों नेताओं की पहली मुलाकात हुई थी। उस समय भी रक्षा प्रौद्योगिकी और आपूर्ति-सेवा सहयोग जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई थी।