बीते कुछ दिनों से कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार की विदेश नीति को लेकर लगातार सवाल उठा रही है। हाल ही में पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि अमेरिका ने अपने आर्मी डे परेड के लिए पाकिस्तान के सेना प्रमुख को आमंत्रित किया है। इस आधार पर कांग्रेस ने भारत की विदेश नीति को पूरी तरह विफल करार दिया।
अब भाजपा ने इस बयान को लेकर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस पर तुष्टीकरण और भ्रम फैलाने का आरोप लगाया।
"जयराम रमेश और मुस्लिम लीग में अंतर क्या?" - दुबे
भाजपा सांसद दुबे ने अपने पोस्ट में कहा कि विपक्षी दलों, खासतौर पर कांग्रेस ने तथ्यों को पढ़ना-समझना छोड़ दिया है। उन्होंने लिखा कि बीते कुछ दिनों से कांग्रेस यह कहती रही कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं, जबकि यह पाकिस्तान की ओर से फैलाया गया एक भ्रम मात्र था। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका के व्हाइट हाउस या सेना की ओर से ऐसा कोई निमंत्रण नहीं दिया गया था।
दुबे ने सवाल उठाया कि जब 1985 में कनिष्क विमान में बम धमाका हुआ, तो कनाडा ने इसकी जांच 2006 में शुरू की। उस वक्त कनाडा के प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो थे, जिनसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई बार आग्रह किया था, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया। बावजूद इसके कांग्रेस आज विदेश नीति पर भाषण दे रही है।
फलस्तीन को लेकर कांग्रेस पर निशाना
भाजपा सांसद ने फलस्तीन मुद्दे पर भी कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने लिखा कि 1948 में जब इस्राइल और फलस्तीन दो स्वतंत्र राष्ट्र बने, तब नेहरू सरकार ने सार्वजनिक रूप से फलस्तीन का समर्थन किया, लेकिन गुप्त रूप से मुंबई में इस्राइल का व्यापार कार्यालय भी खोला गया।
1953 में मुंबई में इस्राइल का महावाणिज्य दूतावास स्थापित किया गया और 1971 के युद्ध में भारत ने इस्राइली हथियारों का उपयोग किया था। इसके अतिरिक्त, भारत और इस्राइल के बीच रणनीतिक सहयोग भी हुआ था, जिसमें मोसाद की भूमिका उल्लेखनीय रही।
‘नेहरू परिवार की विदेश नीति ने देश को नुकसान पहुंचाया’
दुबे ने कहा कि भारत में इस्राइली दूतावास 1992 में खुला, जबकि फलस्तीन मिशन की शुरुआत 1996 में हुई। 1948 से 2014 तक, संयुक्त राष्ट्र में भारत ने 50 से ज्यादा बार इस्राइल के खिलाफ मतदान किया या मतदान से दूरी बनाई। उन्होंने कहा कि भारत फलस्तीन की जनता के साथ है, लेकिन हम हमास जैसे संगठनों का समर्थन नहीं कर सकते। भारत सरकार ने 2020 से अब तक फलस्तीन को करीब 20 करोड़ रुपये की मदद दी है, और वर्तमान बजट में भी लगभग 3.9 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
‘कांग्रेस की नीतियों से आतंकवाद को बढ़ावा मिला’
दुबे ने मुंबई हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि 2008 के आतंकी हमले में 175 लोगों की जान गई, फिर भी कांग्रेस सरकार ने कोई ठोस जवाबी कार्रवाई नहीं की क्योंकि 2009 में आम चुनाव होने थे।
उन्होंने आगे कहा कि 2009 में शर्म अल शेख समझौते के दौरान, पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह स्वीकार किया कि भारत और पाकिस्तान दोनों में आतंकवाद मौजूद है। इस बयान के बाद पाकिस्तान ने 2011 में मुंबई में एक और हमला किया, जिसमें 26 लोग मारे गए और लगभग 300 घायल हुए। दुबे ने कहा कि कांग्रेस ने सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए आतंकवाद और पाकिस्तान के प्रति नरम रुख अपनाया।