चर्चित स्टांप घोटाले में फर्जी जमानतदार खड़े करके जेल से रिहाई पाने वाले स्टांप विक्रेता अक्षय गुप्ता को पुलिस ने दोबारा गिरफ्तार कर लिया है। जांच में यह सामने आया कि रिहाई के लिए न सिर्फ फर्जी जमानतदार पेश किए गए थे, बल्कि पुलिस की ओर से भी जाली रिपोर्ट तैयार कराई गई थी। मामले का खुलासा होने के बाद सिविल लाइन पुलिस ने बुधवार को आठ आरोपियों के खिलाफ कूटरचित दस्तावेज बनाकर जमानत लेने के आरोप में एफआईआर दर्ज की है।

अक्षय गुप्ता को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जमानत मिल गई। पुलिस लाइन में एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने प्रेसवार्ता में बताया कि स्टांप घोटाले में चल रही जांच के दौरान फर्जी दस्तावेजों पर जमानत लेने की यह नई परत सामने आई है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में 11 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 1577 फर्जी स्टांप लगाकर 997 बैनामे किए जाने का मामला उजागर हुआ था, जिसमें मुख्य आरोपी विशाल वर्मा के साथ अक्षय गुप्ता को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। बीते 25 नवंबर को दोनों को अदालत से जमानत मिल गई थी।

जमानत दस्तावेजों की जांच के दौरान पता चला कि अदालत में पेश किए गए जमानतदार असली नहीं थे और जिन दो थानों—लालकुर्ती और टीपीनगर—के दरोगाओं के नाम पर रिपोर्ट लगाई गई थी, वे अधिकारी उन थानों पर तैनात ही नहीं थे।

जांच पूरी होने के बाद उपनिरीक्षक अंकित कुमार की तहरीर पर सिविल लाइन थाने में अक्षय गुप्ता (लक्ष्मीनगर, सूरजकुंड), दीपक और सोनू (मुल्ताननगर), अजय, रोशन, पंकज, भारत (कसैरुखेड़ा, लालकुर्ती), और अधिवक्ता नबी हसन जैदी के खिलाफ धोखाधड़ी व जालसाजी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने बुधवार को अक्षय गुप्ता को दोबारा हिरासत में ले लिया, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।