विदेश मंत्रालय ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम को लेकर प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया कि कश्मीर मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं है। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दोहराया कि जम्मू-कश्मीर से जुड़े विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से ही सुलझाए जाएंगे।
ऑपरेशन सिंदूर पर पाकिस्तान का बदला रुख
विदेश मंत्रालय के अनुसार, 10 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के एयरबेस पर प्रभावी कार्रवाई की, जिसके बाद पाकिस्तान ने गोलीबारी रोकने का फैसला लिया। जायसवाल ने कहा कि भारतीय सेना की ताकत ने पाकिस्तान को संघर्ष विराम के लिए मजबूर किया।
अमेरिका की मध्यस्थता से इनकार
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर पर मध्यस्थता के दावे को नकारते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर का मसला द्विपक्षीय है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और अमेरिका के बीच हुई बातचीत में केवल सैन्य स्थिति पर चर्चा हुई, व्यापार से जुड़े मुद्दों पर कोई बात नहीं हुई।
सिंधु जल संधि पर भारत का रुख
सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) के निर्णय के तहत सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया गया है। मंत्रालय ने कहा कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन छोड़ने का विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय सबूत नहीं देता, तब तक संधि निलंबित रहेगी।
आतंकवाद को लेकर सख्त संदेश
विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में कहा कि पाकिस्तान दशकों से आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। भारत द्वारा नष्ट किए गए आतंकी ढांचे केवल भारतीयों के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के निर्दोष लोगों की मौत के भी जिम्मेदार थे। पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि अब नया नॉर्मल स्थापित हो चुका है।
भारत की कार्रवाई के बाद बदल गए सुर
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के बयान को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि पिछले सप्ताह ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान ने बहावलपुर, मुरीदके, मुजफ्फराबाद और अन्य स्थानों पर अपने आतंकी केंद्रों को नष्ट होते देखा है। हमने उसकी सैन्य क्षमताओं को काफी हद तक कम कर दिया और प्रमुख एयरबेसों को प्रभावी रूप से निष्क्रिय कर दिया। अगर पाकिस्तानी विदेश मंत्री इसे उपलब्धियों के रूप में पेश करना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है। जहां तक भारत का सवाल है, हमारा रुख शुरू से ही स्पष्ट और सुसंगत था।
उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान से संचालित होने वाले आतंकी ढांचे को निशाना बनाएंगे। अगर पाकिस्तानी सेना बाहर रहती, तो कोई समस्या नहीं होती। अगर वे हम पर गोलीबारी करते, तो हम उचित जवाब देते। नौ मई की रात तक पाकिस्तान भारत को बड़े हमले की धमकी दे रहा था। 10 मई की सुबह जब उनका प्रयास विफल हो गया और उन्हें भारत की ओर से विनाशकारी जवाबी कार्रवाई मिली, तो उनके सुर बदल गए और उनके डीजीएमओ ने आखिरकार हमसे संपर्क किया।
जीत का दावा करना उनकी पुरानी आदत
10 मई की सुबह पाकिस्तान की स्थिति बदल गई जब उसके एयरबेसों को प्रभावी रूप से कार्रवाई से बाहर कर दिया गया। आपको बस यह देखना है कि गोलीबारी बंद करने की शर्तों पर बातचीत करने के लिए किसने किससे बात की। आप सभी जानते हैं कि सेटेलाइट इमेज उपलब्ध हैं। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप उन स्थलों को देखें जिनके बारे में पाकिस्तान दावा करता है कि उसने भारत में हमला किया है। इसकी तुलना उन स्थलों और स्थानों से करें जिन्हें हमने सफलतापूर्वक निशाना बनाया और नष्ट कर दिया। इससे आपको स्पष्ट उत्तर मिल जाएगा। जीत का दावा करना एक पुरानी आदत है। उन्होंने 1971, 1975 और 1999 के कारगिल युद्ध में भी ऐसा ही किया था। ढोल बजाने का पाकिस्तान का पुराना रवैया है। परास्त हो जाए लेकिन ढोल बजाओ।
हम परमाणु ब्लैकमेल के आगे झुकेंगे नहीं: विदेश मंत्रालय
परमाणु युद्ध की अटकलों पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमारी ओर से सैन्य कार्रवाई पूरी तरह से पारंपरिक क्षेत्र में थी। कुछ रिपोर्ट्स थीं कि पाकिस्तान नेशनल कमांड अथॉरिटी 10 मई को बैठक करेगी, लेकिन बाद में उन्होंने इसका खंडन किया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने खुद ही परमाणु एंगल से इनकार किया है। जैसा कि आप जानते हैं, भारत का दृढ़ रुख है कि वह परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा या इसका हवाला देकर सीमा पार आतंकवाद को संचालित करने की अनुमति नहीं देगा। विभिन्न देशों के साथ बातचीत में, हमने यह भी चेतावनी दी है कि उनके ऐसे परिदृश्यों को स्वीकार करने से उन्हें अपने क्षेत्र में नुकसान हो सकता है।
टीआरएफ पर लगवाएंगे प्रतिबंध
हमने कई दौर की ब्रीफिंग की है और इन ब्रीफिंग में हमने पहलगाम हमले के अपराधियों विशेष रूप से द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के बीच संबंधों को भी साझा किया है। विदेश सचिव ने अपने बयान में भी स्पष्ट किया है कि हमें किस तरह के सबूत मिले हैं और इस विशेष मामले में जांच चल रही है। आपने देखा होगा कि टीआरएफ ने जिम्मेदारी ली थी और दूसरे दिन दो बार उन्होंने जिम्मेदारी ली थी। उसके बाद संभवतः उनके संचालकों के कहने पर उन्होंने इसे वापस ले लिया। लेकिन टीआरएफ एक ऐसा संगठन है जो लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है। हम यूएनएससी 1267 प्रतिबंध समिति द्वारा टीआरएफ को सूचीबद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों से हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम के साथ जानकारी साझा कर रहे हैं कि क्यों आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF), जो लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है, को आतंकी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। हम इस संबंध में कुछ दिनों में और अधिक जानकारी साझा करेंगे। उम्मीद है कि सुरक्षा परिषद 1267 निगरानी टीम हमारे द्वारा प्रस्तुत की गई बातों, हमारे द्वारा दायर की गई बातों पर कड़ी नज़र रखेगी और जो आवश्यक है उसके अनुसार उचित कार्रवाई करेगी।
भारत और पाकिस्तान को एक साथ जोड़ने के सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हमारा मानना है कि यह बिल्कुल उल्टा है। दुनिया में यह व्यापक रूप से माना जाता है कि भारतीय पर्यटक पहलगाम में आतंकवाद के शिकार थे और आतंकवाद का केंद्र सीमा पार पाकिस्तान में है। कई विदेशी नेताओं ने भारतीय समकक्षों के साथ अपनी बातचीत में भारत के अपने बचाव और अपने लोगों की सुरक्षा के अधिकार को मान्यता दी है। मैं आपका ध्यान 25 अप्रैल के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस वक्तव्य की ओर भी आकर्षित करना चाहता हूं जिसमें कहा गया है कि आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे जोर दिया कि इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
यूक्रेन-रूस वार्ता का स्वागत
हम रूस और यूक्रेन के बीच घोषित सीधी वार्ता का स्वागत करते हैं। वार्ता दोनों पक्षों के लिए संवाद और कूटनीति के माध्यम से अपनी चिंताओं को दूर करने का अवसर प्रदान करती है। भारत ने लगातार रूस और यूक्रेन के बीच शीघ्र और स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए ईमानदार और व्यावहारिक जुड़ाव की आवश्यकता की वकालत की है।
अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाना चिंताजनक
विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश में अवामी लीग पर उचित प्रक्रिया के बिना प्रतिबंध लगाया जाना चिंताजनक है। लोकतंत्र के रूप में भारत स्वाभाविक रूप से लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं में कटौती और राजनीतिक स्थान के सिकुड़ने से चिंतित है। हम बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव जल्द से जल्द कराने का पुरजोर समर्थन करते हैं।