भाषा विवाद पर संघ का बड़ा बयान, ‘हर भारतीय भाषा है राष्ट्रीय भाषा’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की प्रांत प्रचारकों की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक रविवार, 6 जुलाई को समाप्त हो गई। इस बैठक में संगठन के विस्तार, आगामी शताब्दी समारोह और देश की आंतरिक सुरक्षा स्थितियों पर विशेष रूप से विचार-विमर्श किया गया। इसके अतिरिक्त, भाषा संबंधी मुद्दों पर भी चर्चा की गई। संघ का मानना है कि देश की सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं और शिक्षा का माध्यम मातृभाषा ही होना चाहिए—यह विचार संगठन में लंबे समय से स्थापित है।

तीन प्रमुख विषयों पर केंद्रित रही बैठक

आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने सोमवार को आयोजित प्रेस वार्ता में बैठक की विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि बैठक में तीन मुख्य विषयों पर चर्चा हुई—संघ कार्य का विस्तार, शताब्दी समारोह की तैयारियां और विभिन्न राज्यों की मौजूदा सामाजिक स्थितियां।

सीमावर्ती क्षेत्रों और मणिपुर की स्थिति पर विचार

बैठक में मणिपुर में शांति बहाली के प्रयासों पर चर्चा की गई। आंबेकर ने कहा कि संघ मणिपुर के मैतेई समुदाय के बीच लगातार काम कर रहा है, जिससे हालात पहले से बेहतर हुए हैं। साथ ही सीमावर्ती इलाकों में प्रचारकों की भूमिका, वहां की सुरक्षा चुनौतियों और सामाजिक गतिविधियों पर भी समीक्षा की गई।

संघ शिक्षा वर्गों में बढ़ती भागीदारी

इस वर्ष संघ द्वारा 40 वर्ष से कम आयु के युवाओं के लिए 75 शिक्षा वर्ग आयोजित किए गए, जिनमें देशभर के 8812 स्थानों से आए कुल 17,690 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। वहीं, 40 से 60 वर्ष आयु वर्ग के लिए 25 वर्ग आयोजित हुए, जिनमें 4,270 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण लिया।

शताब्दी वर्ष में होगा राष्ट्रव्यापी हिंदू सम्मेलन

संघ के शताब्दी वर्ष को लेकर एक विशेष कार्यक्रम की योजना बनाई गई है। इस दौरान देशभर के प्रत्येक मंडल और बस्ती में “हिंदू सम्मेलन” आयोजित किए जाएंगे, जिसकी संख्या 1,03,019 निर्धारित की गई है। साथ ही, 924 स्थानों पर नागरिक गोष्ठियां होंगी, जिनमें राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक मूल्यों को लेकर संवाद किया जाएगा।

संपर्क अभियान और विजयादशमी पर विशेष गणवेश उपस्थिति

आउटरीच कार्यक्रम के अंतर्गत समाज के विविध वर्गों से संवाद स्थापित किया जाएगा। इसके तहत संघ अपने विचार रखेगा और अन्य विचारों को समझने का प्रयास करेगा। विजयादशमी के दिन ज्यादा से ज्यादा स्वयंसेवकों को गणवेश में उपस्थित रहने के लिए प्रेरित किया गया है।

जीवन मूल्यों और तकनीकी युग में संतुलन पर भी चर्चा

बैठक में यह भी विचार किया गया कि आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों की रक्षा कैसे की जाए। ‘पंच निष्ठा’ के सिद्धांत को आगे बढ़ाते हुए, जीवन को समग्र रूप से विकसित करने की रणनीति पर जोर दिया गया।

अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों पर चर्चा, लेकिन कोई नीतिगत निर्णय नहीं

बैठक में ‘ऑपरेशन सिंदूर’, अमेरिका और बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों पर हुए हमलों सहित अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का भी उल्लेख किया गया। हालांकि, इन विषयों को लेकर कोई औपचारिक योजना या रणनीति नहीं बनाई गई। आंबेकर ने स्पष्ट किया कि बैठक का मुख्य उद्देश्य संघ के शताब्दी समारोह की व्यापक योजना पर केंद्रित था।

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