सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में बार एसोसिएशनों के चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पूर्व न्यायाधीश को चुनाव न्यायाधिकरण में नियुक्त करने की सिफारिश पर राज्य बार काउंसिल की चुप्पी पर सख्त रुख अपनाया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि पूर्व में हमने बार काउंसिल से इस संबंध में प्रतिक्रिया मांगी थी, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।
यह टिप्पणी करनाल और रोहतक जिला बार एसोसिएशनों के चुनावों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आई। पंजाब और हरियाणा की कई बार एसोसिएशनों में चुनाव प्रक्रिया को लेकर निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं, जिसके चलते याचिकाएं दायर की गईं।
पीठ ने कहा कि इस समय यह तय कर पाना कठिन है कि लगाए गए आरोपों में कितनी सच्चाई है। लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि बार काउंसिल की निष्पक्षता बनी रहे, हमने पहले ही सुझाव दिया था कि हाई कोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त किया जा सकता है—विशेषकर ऐसे व्यक्ति को जो बार काउंसिल या बार एसोसिएशन के कामकाज से भली-भांति परिचित हो।
अब तक जवाब न मिलने पर कोर्ट ने बार काउंसिल के अध्यक्ष को निर्देश दिया है कि वे इस विषय में पांच दिनों के भीतर एक औपचारिक प्रस्ताव दाखिल करें। मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी।