इंडिगो एयरलाइन में चल रहे व्यापक परिचालन संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्परता से संज्ञान लेना शुरू कर दिया है। उड़ानों के भारी पैमाने पर रद्द होने से यात्रियों को हो रही कठिनाइयों को देखते हुए इस मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की गई थी। इसी क्रम में मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के वकील को अपने आवास पर बुलाकर स्थिति की जानकारी ली। उड़ान रद्दीकरण के मद्देनज़र दायर जनहित याचिका में इसे गंभीर मानवीय समस्या बताया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आज ही विशेष पीठ गठित करने और मामले की तुरंत सुनवाई सुनिश्चित कराने के लिए सीजेआई से मुलाकात कर रहे हैं। उधर, डीजीसीए द्वारा इंडिगो को कई परिचालन छूट दिए जाने के बावजूद एयरलाइन की सेवाएं चौथे दिन भी सामान्य नहीं हो पाई हैं। केवल शुक्रवार को ही इंडिगो ने एक हजार से अधिक उड़ानें रद्द कीं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा झेलनी पड़ी। अन्य एयरलाइनों ने किराए बढ़ा दिए हैं, जबकि ट्रेनों में अचानक बढ़ी भीड़ ने यात्रा व्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव डाल दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर नजर
मामले के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद अब सभी की निगाहें शीर्ष अदालत के आगामी आदेश पर टिकी हैं। इस बीच, डीजीसीए ने इंडिगो द्वारा भारी संख्या में उड़ानें रद्द करने के कारणों की विस्तृत जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति में संयुक्त महानिदेशक संजय के. ब्रह्माणे, उप महानिदेशक अमित गुप्ता, वरिष्ठ उड़ान संचालन निरीक्षक कैप्टन कपिल मांगलिक और कैप्टन रामपाल शामिल हैं।
याचिका में उठाए गए मुद्दे
याचिका में दावा किया गया है कि उड़ान रद्द होने से यात्रियों के सामने मानवीय संकट जैसी स्थिति पैदा हो गई है। इसमें पायलटों के नए FDTL नियमों की गलत योजना को भी स्थिति बिगड़ने का मुख्य कारण बताया गया है। याचिकाकर्ता ने इसे यात्रियों के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करार देते हुए प्रभावित लोगों के लिए वैकल्पिक यात्रा व्यवस्था और मुआवज़े की मांग की है।
संकट से राहत के प्रयास
राहत पहुंचाने की कोशिश में स्पाइसजेट ने 100 अतिरिक्त उड़ानें शुरू की हैं। रेलवे ने भी कई विशेष ट्रेनें चलाने और 37 ट्रेनों में 116 अतिरिक्त कोच लगाने की घोषणा की है। उधर, नागरिक उड्डयन मंत्रालय 24×7 कंट्रोल रूम के माध्यम से उड़ानों के संचालन, किराए और अन्य अपडेट की निगरानी कर रहा है, ताकि स्थिति को जल्द सामान्य किया जा सके।