कोरोना से संक्रमित होने वाले 75% से अधिक बच्चों में नहीं दिखे खांसी, बुखार जैसे लक्षण; टीनएजर्स के मुकाबले इन्हें 3 गुना खतरा अधिक

वैज्ञानिक कोरोना की तीसरी लहर आने का खतरा जता रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा खतरा बच्चों के लिए बताया जा रहा है। इस बीच इंग्लैंड के वैज्ञानिकों की रिसर्च चौंकाने वाली है। रिसर्च कहती है, कोरोना से संक्रमित होने वाले ज्यादातर बच्चों में कोविड-19 के लक्षण नहीं दिख रहे हैं।

0 से 18 साल के 12,300 बच्चों पर हुई रिसर्च में यह आंकड़े सामने आए हैं। इनमें से 75 फीसदी पॉजिटिव बच्चों में बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसे कोई लक्षण नहीं दिखे हैं।

रिसर्च करने वाली ब्रिटेन की अल्बामा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है, टीनएजर्स के मुकाबले बच्चों के कोरोना से संक्रमित होने का खतरा 3 गुना ज्यादा है।

उल्टी, स्किन पर चकत्ते और सिरदर्द जैसे लक्षण भी दिखे
रिसर्च में शामिल कोरोना से संक्रमित बच्चों की जांच हुई तो पता चला मात्र 25 फीसदी बच्चों में लक्षण दिखे। इनमें से 18 फीसदी में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, स्वाद या खुशबू को महसूस न कर पाना जैसे लक्षण थे। वहीं, 16.5 फीसदी खांसी और 13.5 फीसदी उल्टी जैसी दिक्कतों से परेशान थे। इसके अलावा 8.1 फीसदी में स्किन पर चकत्ते और 4.8 फीसदी में सिरदर्द की शिकायत थी। कुल 672 मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया गया था।

ये लक्षण कॉमन दिखे
शोधकर्ताओं के मुताबिक, बच्चों को दो ग्रुप में बांटा गया। पहले ग्रुप में वो बच्चे शामिल थे जिन्हें हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है और दूसरे ग्रुप में ऐसे संक्रमित बच्चे शामिल थे, जिन्हें हॉस्पिटल में नहीं भर्ती करना पड़ा था। दोनों ही ग्रुप में बच्चों में मांसपेशियों में दर्द, थकान, स्वाद और खुशबू महसूस न करना जैसे लक्षण कॉमन थे।

अश्वेत बच्चों में संक्रमण के मामले दोगुने
शोधकर्ताओं के मुताबिक, संक्रमित बच्चों में 6.5 फीसदी अश्वेत बच्चे थे, वहीं, 3.3 फीसदी गोरे यानी श्वेत बच्चे थे। इसके अलावा 4.6 फीसदी संक्रमित बच्चे हिस्पेनिक मूल के थे। शोधकर्ताओं का कहना है, बच्चों में संक्रमण होने के बाद लक्षणों का न दिखना परेशान करने वाला है। ऐसे में खासतौर पर स्कूल जाने पर बच्चों की समय-समय पर स्क्रीनिंग करना जरूरी है।

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