दक्षिण अफ्रीका से 0-2 की सीरीज़ हारने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर पर दबाव और बढ़ गया है। गुवाहाटी में खेले गए दूसरे टेस्ट में भारत को 408 रनों से मिली करारी शिकस्त के साथ टीम को घरेलू मैदान पर लगातार दूसरी बार क्लीन स्वीप झेलना पड़ा। गंभीर इस तरह की स्थिति का सामना करने वाले पहले भारतीय हेड कोच बन गए हैं।
कोच बनने के बाद से भारत ने 18 टेस्ट में 10 मैच गंवाए हैं, जिनमें से 5 हारें घरेलू मैदान पर हुई हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-3 की हार के बाद अब दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 0-2 का परिणाम टीम प्रबंधन पर सवाल खड़े कर रहा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में गंभीर स्पष्ट रूप से नाराज़ दिखे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनके पद पर बने रहने या न रहने का निर्णय पूरी तरह बीसीसीआई पर निर्भर है। उन्होंने कहा, “जब मैंने यह जिम्मेदारी स्वीकार की थी, तब भी कहा था कि भारतीय क्रिकेट सबसे अहम है, मैं नहीं। वही बात आज भी लागू होती है।”
मीडिया की आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए गंभीर ने कहा कि हार पर चर्चा तो होती है, पर उपलब्धियों को अक्सर भुला दिया जाता है। उन्होंने याद दिलाया कि उनके कोचिंग कार्यकाल में भारत ने युवा टीम के साथ इंग्लैंड दौरे पर अहम जीत दर्ज की थी। साथ ही चैंपियंस ट्रॉफी और एशिया कप की जीत का भी जिक्र किया।
गंभीर ने कहा कि मौजूदा टीम अनुभवहीन है और खिलाड़ियों को मैच दर मैच सीखने का मौका मिल रहा है। उन्होंने कहा “मैं बहाने नहीं बना रहा। ट्रांजिशन का मतलब ही यही है कि युवा खिलाड़ी परिस्थितियों से सीखते हैं। हार की जिम्मेदारी सबसे पहले मेरी है।"
भारत की दूसरी पारी में 95/1 से 122/7 जैसी गिरावट पर उन्होंने माना कि इस तरह का प्रदर्शन स्वीकार्य नहीं है, लेकिन किसी एक खिलाड़ी को दोष देने से इनकार किया।
टीम चयन को लेकर उठ रहे सवालों पर गंभीर ने अपने फैसलों का बचाव किया। उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट सिर्फ प्रतिभा नहीं, बल्कि मजबूत मानसिकता की मांग करता है, और वे उसी सोच के साथ टीम तैयार कर रहे हैं।