भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोमवार को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी की चारा घोटाले के दोषी लालू प्रसाद से मुलाकात की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इसे एक उच्च संवैधानिक पद की आकांक्षा रखने वाले व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी के सिद्धांतों के खिलाफ चौंकाने वाला कदम बताया। साथ ही, उन्होंने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की चुप्पी पर भी सवाल उठाते हुए इसे पाखंड करार दिया।
अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा कि इस मुलाकात से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षी उम्मीदवार का रुख सार्वजनिक नैतिकता के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा, “इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात है कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश और संवैधानिक नैतिकता के संरक्षक इस पर मौन साधे हुए हैं। उनका पाखंड उजागर हो गया है।”

9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी. सुदर्शन रेड्डी और एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के बीच सीधा मुकाबला होगा। मतदान से पहले भाजपा ने रविवार को ‘संसद कार्यशाला’ का आयोजन किया, जिसमें सांसदों को मतदान प्रक्रिया की जानकारी देने के लिए अभ्यास सत्र रखा गया।
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सोमवार शाम को संसद भवन के एनेक्सी में विपक्षी सांसदों के लिए रात्रिभोज का आयोजन करेंगे। यह बैठक विपक्ष की एकता बनाए रखने और बी. सुदर्शन रेड्डी के समर्थन को मजबूत करने के उद्देश्य से है। विपक्षी उम्मीदवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का भी समर्थन प्राप्त है।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों के चलते इस्तीफा देने के बाद उपराष्ट्रपति का पद रिक्त हो गया था। उपराष्ट्रपति चुनाव भारत के संविधान के अनुच्छेद 64 और 68 के तहत आयोजित होता है और चुनाव आयोग इसे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के अनुसार अधिसूचित करता है। चुनाव एकल संक्रमणीय मत और गुप्त मतदान प्रणाली द्वारा किया जाता है।