बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियाँ तेज कर दी हैं। शनिवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के आवास पर INDIA गठबंधन से जुड़े दलों की अहम बैठक आयोजित हुई। करीब छह घंटे तक चली इस बैठक में सीटों के बंटवारे के प्रारूप पर विचार-विमर्श हुआ।
बैठक के बाद तेजस्वी यादव ने मीडिया से कहा कि सीटों को लेकर बातचीत की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन फिलहाल इस पर कोई विस्तृत जानकारी साझा नहीं की जा सकती। उन्होंने इसे गठबंधन के भीतर का आंतरिक मामला बताया और कहा कि जब निर्णय अंतिम रूप ले लेंगे, तब सभी को सूचित किया जाएगा।
सीएम चेहरा खुद को बताने के बाद सियासी हलचल
यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब तेजस्वी यादव ने खुद को आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया था। उनके इस बयान के बाद न केवल विरोधी दलों बल्कि सहयोगी दलों में भी हलचल देखी गई थी। इस बयान को लेकर विपक्षी खेमा लगातार राजद पर दबाव बना रहा है।
नीतीश सरकार पर वादों की नकल का आरोप
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर आरोप लगाया कि वह उनके चुनावी वादों की नकल कर रही है। उन्होंने युवा आयोग गठन का उदाहरण देते हुए कहा कि यह वादा उन्होंने पहले ही किया था, लेकिन अब सरकार उसे अपना बताकर लागू कर रही है। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि सरकार “माई बहिन सम्मान योजना” की भी नकल कर सकती है, जिसके तहत महिलाओं को ₹2500 मासिक भत्ता देने का वादा राजद ने किया है।
कानून-व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार से सवाल
जब तेजस्वी से पूछा गया कि केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर चिंता जता रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया कि यदि वास्तव में राज्य में ‘जंगल राज’ है तो चिराग को यह बात केंद्र सरकार के सामने रखनी चाहिए।
बैठक में कई दलों की भागीदारी
बैठक में कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और वामपंथी दलों के नेता शामिल हुए। बैठक के बाद मुकेश सहनी ने मीडिया से कहा कि सीट बंटवारे पर चर्चा की शुरुआत हो चुकी है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि फिलहाल इस पर विस्तार से कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
एसआईआर पर वीआईपी प्रमुख की आपत्ति
मुकेश सहनी ने राज्य में चल रही सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना (एसआईआर) पर चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस प्रक्रिया के खिलाफ है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि जब तक सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय नहीं आता, तब तक सभी निर्देशों का पालन आवश्यक है।
गौरतलब है कि सहनी ने 2020 का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन एक साल बाद उन्होंने भाजपा से नाता तोड़ लिया था।