छत्‍तीसगढ़ में वेतन विसंगति को दूर नहीं करने पर लिपिक वर्ग ने ज्ञापन सौंपेगा और यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो फिर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी है। छत्तीसगढ़ लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष राजेश सोनी और प्रांताध्यक्ष संजय सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण से लिपिक संवर्गों के वेतनमानों में निरंतर क्षरण को दूर करने और लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के सामान्य हितों का संरक्षण करने के लिए छत्तीसगढ़ लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ, लिपिकों के हितों के लिए निरंतर संघर्ष कर रहा है। वर्तमान में छत्‍तीसगढ़ राज्य शासन द्वारा लगभग सभी वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन विसंगति का मामला निराकृत किया जा रहा है। बावजूद इसके लिपिक एक ऐसा संवर्ग रह गया है, जिसकी मांग को विगत 35 वर्षों से दूर नहीं किया गया है।

वर्ष 1981 में गठित चैधरी वेतनमान से लगतार लिपिकों के वेतनमान कम होते आ रहा है, वर्तमान में यदि हम शिक्षकों के वेतनमान एवं लिपिकों के वेतनमान का तुलनात्मक अध्ययन करते है तो शिक्षकों का वेतनमान लिपिकों के वेतनमान से 5800/- रुपये अधिक है, इसी प्रकार पटवारी एवं लिपिकों के वेतनमान को देखे तो पटवारी और लिपिकों के वेतनमान में 2900/- रुपये का अंतर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। डाटा एन्ट्री आपरेटर और लिपिकों के वेतनमान में भी अंतर है। इस प्रकार आज लिपिकों का वेतनमान आज सम्मानजनक प्रतीत नहीं होता है।

छत्तीसगढ़ लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष संजय सिंह ने बताया कि प्रांतीय आव्हान पर पूरे छत्तीसगढ़ में जिला एवं तहसील स्तर पर दिनांक 11 अगस्त को माननीय मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को जिलों में कलेक्टर के माध्यम से और तहसीलों में तहसीलदार के माध्यम से भोजन अवकाश के समय दोपहर 1:30 बजे से 2:00 बजे के मध्य ज्ञापन दिया जाना तय किया गया है। यदि एक महीने के भीतर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लिपिकों के हित में निर्णय नहीं लिया जाता है तो प्रदेश के लिपिक उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।