बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने दिल्ली के वकील राकेश किशोर को तत्काल प्रभाव से अदालतों में प्रैक्टिस करने से निलंबित कर दिया है। किशोर ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया था।
क्या हुआ पूरा मामला
सोमवार को कोर्ट रूम-1 में सुनवाई के दौरान किशोर ने कथित तौर पर अपना जूता निकालकर सीजेआई गवई की ओर फेंकने की कोशिश की। जूता न्यायाधीश तक नहीं पहुंच पाया क्योंकि सुरक्षा कर्मी तुरंत सक्रिय हो गए और किशोर को कोर्ट से बाहर ले गए। इस दौरान किशोर ने कहा कि वह “सनातन का अपमान नहीं सहेंगे” और कथित तौर पर पिछले दिनों सीजेआई की भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्स्थापन पर टिप्पणी से नाखुश थे।
सीजेआई ने इस दौरान संयम बनाए रखा और कहा कि ऐसा कृत्य उन्हें विचलित नहीं कर सकता।
बीसीआई का आदेश और निलंबन
बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने बताया कि किशोर का व्यवहार न्यायालय की गरिमा के अनुकूल नहीं है और यह अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत पेशेवर आचार संहिता का उल्लंघन है। उन्हें तत्काल प्रभाव से किसी भी न्यायालय, प्राधिकरण या अधिकरण में पैरवी करने से रोका गया है।
बीसीआई ने कहा कि किशोर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी और उन्हें 15 दिन के भीतर कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। सभी न्यायालयों और बार संघों को निलंबन की जानकारी देने का निर्देश भी दिया गया है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताया और इसे सोशल मीडिया में फैल रही गलत सूचनाओं का परिणाम करार दिया। वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंग ने इसे ‘पूरे संस्थान पर हमला’ कहा, जबकि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे अभूतपूर्व और शर्मनाक करार देते हुए समाज में फैली नफरत और कट्टरता की चिंता जताई।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में वकील और न्यायपालिका के बीच असभ्य व्यवहार पर गंभीर बहस को जन्म दे रहा है और कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा कर रहा है।