राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण ने एक बार फिर गंभीर रूप धारण कर लिया है। सोमवार रात से लेकर मंगलवार सुबह तक दिल्ली-एनसीआर के अधिकांश क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। आनंद विहार, बवाना, नरेला, विवेक विहार, पंजाबी बाग, अशोक विहार और आईटीओ जैसे इलाकों में AQI 440 से 460 के बीच दर्ज किया गया, जो ‘सीवियर’ श्रेणी में आता है।
तेजी से बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे चरण को तुरंत लागू करने का निर्णय लिया है। यह चरण तब लागू किया जाता है जब दिल्ली-एनसीआर का औसत AQI 400 से अधिक हो जाता है और वायु गुणवत्ता सांस लेने योग्य नहीं रह जाती।
पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 कणों की मात्रा सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक है। इन कणों के बढ़ने से सांस और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ता है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति अत्यंत जोखिमभरी है।
GRAP-3 के तहत लागू पाबंदियां
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सभी गैर-जरूरी निर्माण और ध्वस्तीकरण कार्यों पर तुरंत रोक लगाई गई है।
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पुराने डीजल वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है।
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निर्माण सामग्री ढोने वाले ट्रक (बालू, बजरी, सीमेंट आदि) सड़कों पर नहीं चल सकेंगे।
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आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर डीजल जनरेटरों का इस्तेमाल पूरी तरह वर्जित किया गया है।
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खनन और स्टोन क्रशिंग यूनिट्स पर भी रोक लगा दी गई है।
सबसे प्रदूषित इलाके
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, बवाना में AQI 465, मुंडका में 464, वजीरपुर में 462, पंजाबी बाग में 460, नेहरू नगर में 456 और आईटीओ में 452 दर्ज किया गया।
हालांकि, लोधी रोड (293) और एनएसआईटी द्वारका (240) जैसे कुछ इलाकों में वायु गुणवत्ता अपेक्षाकृत बेहतर रही, लेकिन ये भी “मध्यम से खराब” श्रेणी में शामिल हैं।