नई दिल्ली। भारतीय डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स ने सरकार से विदेशी टेक कंपनियों पर समान शुल्क दोबारा लगाने की अपील की है। उनका कहना है कि हाल ही में टैक्स हटने के बाद घरेलू और विदेशी कंपनियों के बीच असमानता बढ़ गई है। विदेशी प्लेटफॉर्म्स को ज्यादा लाभ हो रहा है, जबकि भारतीय पब्लिशर्स संसाधनों की कमी के चलते मुश्किलों से जूझ रहे हैं।
सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को भेजे गए एक ज्ञापन में पब्लिशर्स ने कहा कि शुल्क समाप्त होने से अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को बढ़त मिल गई है। ये प्लेटफॉर्म न सिर्फ समाचार वितरित कर रहे हैं, बल्कि धीरे-धीरे कंटेंट स्पेस पर भी दबदबा बनाने लगे हैं, जिससे घरेलू मीडिया संस्थानों की स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो गई है।
छह प्रतिशत शुल्क से मिली थी राहत
पब्लिशर्स ने याद दिलाया कि छह प्रतिशत का समकारी शुल्क लागू होने पर घरेलू और विदेशी कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा संतुलित हो गई थी। इसके हटने से भारतीय संस्थानों की आर्थिक स्थिरता प्रभावित हुई है और उनकी टिकाऊ क्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
विदेशी उदाहरण का हवाला
उन्होंने बताया कि फ्रांस, ब्रिटेन, इटली और स्पेन जैसे देशों ने अब भी डिजिटल सर्विस टैक्स जारी रखा है। यह तब तक लागू रहेगा, जब तक जी-20 और ओईसीडी की नई टैक्स व्यवस्था पूरी तरह लागू नहीं हो जाती। भारत जैसे बड़े डिजिटल बाजार में ऐसी व्यवस्था का न होना घरेलू पब्लिशर्स के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
‘आत्मनिर्भर भारत’ से जोड़ा मुद्दा
पब्लिशर्स ने कहा कि वे सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजनाओं के मजबूत साझेदार हैं, लेकिन इसके लिए समान कर नीति जरूरी है। उनका तर्क है कि विदेशी कंपनियां बिना टैक्स चुकाए यहां से मुनाफा कमा रही हैं, जबकि भारतीय पब्लिशर्स गुणवत्ता आधारित पत्रकारिता का पूरा खर्च स्वयं उठा रहे हैं।
बड़े प्लेटफॉर्म्स पर मनमानी का आरोप
ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि बड़ी टेक कंपनियां न सिर्फ अनुचित प्रतिस्पर्धा कर रही हैं बल्कि एआई कंपनियों द्वारा उनकी सामग्री का डेटा स्क्रैपिंग भी बढ़ता जा रहा है। इन हालात में भारतीय मीडिया का भविष्य असुरक्षित नजर आ रहा है।
पब्लिशर्स ने सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग करते हुए कहा कि टैक्स या कोई वैकल्पिक व्यवस्था फिर से लागू की जाए, ताकि डिजिटल मीडिया की स्थिरता और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित हो सके।