दिल्ली दंगों के मामले में आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका हाईकोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के बाद उनके वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल अब सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। सिब्बल ने इसे ‘अन्याय’ बताते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल उठाया कि भारत का लोकतंत्र किस दिशा में जा रहा है, जब राजनीतिक दल ऐसे मुद्दों पर आवाज उठाने से बचते हैं।

सिब्बल ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के कथित बयान की भी आलोचना की, जिसमें कहा गया था कि खालिद के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में सात बार सुनवाई स्थगित करने की मांग की। सिब्बल ने स्पष्ट किया कि ऐसा केवल दो बार हुआ था।

दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी 2020 के दंगों से जुड़े यूएपीए मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम और नौ अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। दंगों में 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हुए थे। अदालत ने नौ जुलाई को आदेश सुरक्षित रखा और मंगलवार को फैसला सुनाया।

अभियोजन पक्ष का कहना है कि यह एक पूर्व-नियोजित साजिश थी, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करना था, और लंबे समय तक जेल में रहना जमानत का आधार नहीं बन सकता।

उमर खालिद, शरजील इमाम, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद की जमानत याचिकाएं 2022 से लंबित थीं।