नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद को निर्देश दिया कि वह डाबर के खिलाफ भ्रामक दावे वाला च्यवनप्राश विज्ञापन 72 घंटे के भीतर हटा दे। न्यायमूर्ति तेजस कारिया की पीठ ने कहा कि झूठे या भ्रामक विज्ञापनों को कोई संवैधानिक संरक्षण नहीं मिल सकता।

अदालत ने स्पष्ट किया कि पतंजलि के इस विज्ञापन में यह संदेश दिया गया था कि अन्य सभी निर्माता अपने उत्पादों के माध्यम से उपभोक्ताओं को धोखा दे रहे हैं, जो कि अनुचित और गैरकानूनी है। अदालत ने कहा कि नियमों का पालन करने वाले आयुर्वेदिक उत्पाद निर्माताओं को भ्रामक बताकर बदनाम नहीं किया जा सकता।

यह आदेश डाबर इंडिया की याचिका पर पारित किया गया, जिसमें उन्होंने पतंजलि द्वारा जारी 25 सेकंड के विज्ञापन को चुनौती दी थी। विज्ञापन में एक महिला अपने बच्चे को च्यवनप्राश खिलाते हुए कहती है, “चलो धोखा खाओ,” जबकि रामदेव दावा करते हैं कि अधिकांश लोग च्यवनप्राश के नाम पर धोखा खा रहे हैं। अदालत ने इसे अनुचित बताते हुए रोक लगाने का निर्देश दिया।