नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने वाले वाणिज्यिक वाहनों पर पर्यावरण उपकर (ECC) से जुड़ा बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने साफ कर दिया है कि अब दूध, सब्जी, फल, अनाज और पोल्ट्री उत्पाद जैसे आवश्यक सामान ढोने वाले वाहनों को भी इस उपकर का भुगतान करना होगा।

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ ने यह आदेश 26 सितंबर को पारित किया था, जिसे अब सार्वजनिक किया गया है।

एमसीडी की दलील मानी गई
दिल्ली नगर निगम (MCD) ने अदालत से अपील की थी कि 2015 में दी गई छूट को खत्म किया जाए, क्योंकि इसका दुरुपयोग हो रहा है और उपकर लगाने का उद्देश्य ही प्रभावित हो रहा है। निगम ने कहा कि छूट प्राप्त वाहनों की जांच के लिए चेकपोस्ट पर लंबा समय लगता है, जिससे वाहन का इंजन चालू रहता है और लगातार धुआं निकलता है। इससे प्रदूषण कम होने के बजाय और बढ़ता है।

छूट हटने से जांच की दिक्कत खत्म होगी
अदालत ने भी माना कि यह व्यवस्था अव्यावहारिक है, क्योंकि यह पता लगाना आसान नहीं कि वाहन में वास्तव में कौन-सा सामान लदा है। जांच के नाम पर सभी वाहनों को रोकना पड़ता है, जिससे ट्रैफिक और प्रदूषण दोनों बढ़ते हैं। कोर्ट ने कहा कि लगाया जाने वाला शुल्क इतना अधिक नहीं है कि इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़े।

2015 का आदेश अब रद्द
गौरतलब है कि अक्टूबर 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने आवश्यक वस्तुएं लेकर दिल्ली में आने वाले वाणिज्यिक वाहनों को ECC से छूट दी थी। इसमें दूध, फल-सब्जियां, अनाज, अंडे, बर्फ और पोल्ट्री उत्पाद जैसी चीजें शामिल थीं। अब यह छूट पूरी तरह खत्म हो गई है और सभी वाणिज्यिक वाहनों को पर्यावरण उपकर अदा करना होगा।