अंबाला के काजीवाड़ा मोहल्ले की एक तंग और अंधेरी गली में रहने वाली बुजुर्ग महिला दर्शाना देवी पिछले तीन सालों से बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन बिताने को मजबूर थीं। कमरे में न तो कोई उनका ख्याल रखता था और न ही उन्हें सहारा देने वाला कोई मौजूद था।

बुजुर्ग महिला अपनी चारपाई पर बैठकर गंदगी में जीवन यापन कर रही थीं। कमरे में चूहे और कॉकरोच भरे हुए थे, और असहनीय दुर्गंध के बीच दर्शाना देवी के हाथों और शरीर पर मल-मूत्र जमे हुए थे। स्वास्थ्य की स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि वे खुद भी चल-फिर नहीं पा रही थीं। पड़ोसी केवल रोटी-पानी दे पाते थे, लेकिन समाज और प्रशासन ने उनकी स्थिति पर आंखें मूंद रखी थीं।

इस आपराधिक उपेक्षा की सूचना मिलने पर वंदे मातरम दल की टीम तुरंत सक्रिय हुई। दल ने बुजुर्ग महिला को इस नर्क जैसी स्थिति से बचाया और उन्हें लुधियाना स्थित मनुखता दी सेवा आश्रम पहुंचाया। अब दर्शाना देवी आश्रम में सुरक्षित हैं, जहां उन्हें चिकित्सा सुविधा और सम्मानजनक जीवन मिल रहा है।

वंदे मातरम दल के फाउंडर भरत ने कहा, “अगर हमारे बुजुर्ग इस तरह बंद कमरों में सड़ते रहेंगे और हम चुप रहेंगे, तो हमारी मानवता पर ही सवाल उठेगा। आज हम जागे नहीं, तो कल यही स्थिति किसी के साथ भी हो सकती है।”

मनुखता दी सेवा आश्रम में फिलहाल 850 से अधिक बुजुर्ग और असहाय लोगों की देखभाल की जा रही है, जिन्हें समाज ने नजरअंदाज कर दिया था।