सुरा गांव में बीते एक महीने के भीतर छह से अधिक लोगों की मौत और करीब 35 ग्रामीणों के अस्पताल में भर्ती होने की खबर से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। बीते 10 दिनों से गांव में उल्टी और दस्त के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, जिससे गांव में दहशत का माहौल है।
स्वास्थ्य और जनस्वास्थ्य विभाग की टीमों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गांव में मोर्चा संभाल लिया है। सिविल सर्जन डॉ. सुखबीर सिंह, एसएमओ डॉ. कृष्णकांत, जनस्वास्थ्य विभाग के एक्सईएन सुमित गर्ग और एसडीओ विनोद कुमार सहित संबंधित अधिकारी मौके पर पहुंचे और जांच कार्य शुरू किया।
प्रारंभिक जांच में बीमारी का मुख्य कारण दूषित पेयजल माना जा रहा है। जनस्वास्थ्य विभाग ने अवैध कनेक्शनों और उन टंकियों व होदियों की पहचान कर ली है, जहां से पानी वापस आपूर्ति लाइनों में जा रहा था। इन सभी स्रोतों को बंद कर दिया गया है।
ग्रामीणों ने बताई स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति
ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय स्तर पर इलाज से लाभ नहीं होने के कारण उन्हें शहर के अस्पतालों का रुख करना पड़ा। निवासी राजबीर ने बताया कि उसकी पत्नी को गंभीर हालत में कुरुक्षेत्र के एलएनजेपी अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन संसाधनों की कमी और दूरी के कारण उन्हें निजी अस्पताल में महंगे इलाज का सहारा लेना पड़ा।
गंदा पानी लौट रहा था सप्लाई में: एक्सईएन सुमित गर्ग
जनस्वास्थ्य विभाग के एक्सईएन सुमित गर्ग ने बताया कि कई घरों ने होदियों में पेयजल पाइप सीधे जोड़ रखे हैं और कुछ जगहों पर सीवरेज लाइनों में से ही पाइप निकाले गए हैं। जब ट्यूबवेल बंद होता है, तो इन होदियों और पाइपों से गंदा पानी आपूर्ति लाइन में लौटकर लोगों तक पहुंच जाता है। उन्होंने बताया कि सभी अवैध कनेक्शन हटाए जा चुके हैं और जल सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम मुस्तैद: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. सुखबीर सिंह ने बताया कि हालात पर नजर रखने के लिए गांव में स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम तैनात है। लोगों को ओआरएस घोल, ओलोजन टैबलेट आदि मुहैया कराए जा रहे हैं। साथ ही, एंबुलेंस को गांव में ही तैनात किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल मदद दी जा सके।