गुरुग्राम के उटोन गांव स्थित मस्जिद से तिरंगा हटाकर उसकी जगह भगवा ध्वज लगाने के मामले में आरोपी विकास तोमर को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। न्यायमूर्ति मनीषा बत्रा की एकल पीठ ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप सामान्य नहीं बल्कि स्पष्ट और गंभीर प्रकृति के हैं। आरोपी और अन्य व्यक्तियों के बीच हुई बातचीत इन आरोपों की पुष्टि करती है।
अदालत ने कहा कि सार्वजनिक व्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, ऐसे में मामले की गहराई से जांच जरूरी है। जमानत याचिकाकर्ता ने ऐसा कोई असाधारण आधार प्रस्तुत नहीं किया जिससे गिरफ्तारी से पहले राहत दी जा सके।
पुलिस के अनुसार, 7 जुलाई को गुरुग्राम के बिलासपुर थाना क्षेत्र में शिकायत मिली थी कि कुछ व्यक्तियों ने एक मस्जिद से राष्ट्रीय ध्वज हटा दिया और वहां भगवा झंडा फहरा दिया। शिकायतकर्ता ने इस घटना से संबंधित ऑडियो और वीडियो सबूत भी पुलिस को सौंपे। पुलिस ने संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर कुछ आरोपियों को हिरासत में लिया था।
इससे पहले, सत्र न्यायालय ने भी 15 जुलाई को विकास तोमर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। उस समय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप चौहान ने टिप्पणी की थी कि ऐसे असामाजिक तत्व समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं, और एक सामान्य देशभक्त नागरिक इस प्रकार की हरकत की कल्पना भी नहीं कर सकता।
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि एफआईआर में उनके मुवक्किल का नाम नहीं है और वह इस घटना में शामिल नहीं थे। वहीं, राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि आरोपी का मकसद क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव फैलाना था। सभी तथ्यों पर विचार करते हुए न्यायालय ने यह निष्कर्ष निकाला कि हिरासत में पूछताछ आवश्यक है, इसलिए अग्रिम जमानत का कोई औचित्य नहीं बनता।