हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने राज्य के सभी स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक पाठ को अनिवार्य कर दिया है। इस निर्णय के अनुसार, अब स्कूलों में प्रार्थना सभा की शुरुआत गीता के एक श्लोक के उच्चारण से होगी। बोर्ड का कहना है कि इसका उद्देश्य विद्यार्थियों में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का विकास करना है।
भिवानी से हुई पहल की शुरुआत
इस योजना की औपचारिक शुरुआत गुरुवार को भिवानी स्थित सर्वपल्ली राधाकृष्णन लैब स्कूल से की गई। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. पवन कुमार ने इस मौके पर कहा कि गीता का ज्ञान बच्चों में चरित्र निर्माण, आध्यात्मिकता और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देगा। उनका मानना है कि वर्तमान पीढ़ी को नैतिक मूल्यों से जोड़ने के लिए यह एक अहम कदम है।
छात्रों को मिलेगा साप्ताहिक अभ्यास
प्रत्येक सप्ताह एक श्लोक को “सप्ताह का श्लोक” घोषित किया जाएगा, जिसे सूचना पट पर अर्थ सहित प्रदर्शित किया जाएगा। छात्र उस श्लोक को पढ़ेंगे, समझेंगे और सप्ताहांत में उस पर चर्चा होगी। शिक्षकों को श्लोक की व्याख्या करने और उसके पीछे छिपे संदेश को समझाने की जिम्मेदारी दी गई है।
उत्तराखंड में भी हो चुका है ऐसा निर्णय
गौरतलब है कि इससे पहले उत्तराखंड सरकार ने भी इसी तरह का आदेश जारी किया था। वहां के सरकारी स्कूलों में प्रार्थना सभा के दौरान गीता के श्लोक का अर्थ सहित पाठ अनिवार्य किया गया है।
शिक्षा बोर्ड का मानना है कि गीता के सिद्धांत विद्यार्थियों में नैतिक व्यवहार, नेतृत्व क्षमता, निर्णय लेने की समझ, भावनात्मक संतुलन और तर्कशीलता विकसित करने में सहायक होंगे। यह पहल भविष्य की पीढ़ी को मजबूत और मूल्य आधारित नागरिक के रूप में तैयार करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास मानी जा रही है।