हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। भूस्खलन और पेड़ गिरने की घटनाओं के कारण सैकड़ों सड़कें बंद हैं, वहीं कई क्षेत्रों में बिजली और पेयजल आपूर्ति ठप पड़ी है। मंगलवार सुबह 10 बजे तक तीन राष्ट्रीय राजमार्ग समेत 398 सड़कें बाधित थीं। इसके अलावा 669 बिजली ट्रांसफार्मर और 529 जल आपूर्ति योजनाएं प्रभावित रहीं। मंडी जिले में सबसे ज्यादा 213 सड़कें बंद हैं, जबकि कुल्लू में 84 सड़कें और 367 ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं। चंबा में चलती बस पर पत्थर गिरने से दो यात्री घायल हो गए, हालांकि उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
शिमला में भारी बारिश के कारण कई इलाकों में पेड़ गिरने और भूस्खलन से नुकसान हुआ है। विकास नगर में पेड़ गिरने से एक मकान की छत टूट गई और सड़क बंद हो गई। टुटीकंडी में आधा दर्जन से अधिक पेड़ गिरने से कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए। खालीनी में ढारा ढहने से छह मजदूर बाल-बाल बचे।
चंबा-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग दुनेरा के पास धंस जाने से यातायात पूरी तरह बंद हो गया। इस कारण मणिमहेश यात्रा पर जा रहे श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं, चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग जोगणी मोड़ पर सोमवार रात पत्थर गिरने से करीब 10 घंटे बंद रहा, जिसे सुबह बहाल किया गया।
मौसम विभाग के अनुसार राज्य में 18 अगस्त तक बारिश का दौर जारी रहेगा। 12 से 14 अगस्त तक कई जिलों में भारी बारिश की संभावना है और ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जबकि 15 से 18 अगस्त तक येलो अलर्ट रहेगा।
प्रदेश में इस मानसून सीजन (20 जून से 11 अगस्त) के दौरान 229 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 323 घायल हुए हैं और 36 लोग लापता हैं। इस दौरान भूस्खलन, बाढ़ और हादसों से हजारों मकान, दुकानें और गोशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं, जिससे अब तक लगभग 2007 करोड़ रुपये का नुकसान आंका गया है।
इसके अलावा, चिंतपूर्णी में एक व्यक्ति 30 फीट गहरे नाले में गिरने से जान गंवा बैठा। ऊना में करंट लगने से एक गोशाला में बंधी गाय की मौत हो गई। बिजली की तारों पर पेड़ गिरने से यह हादसा हुआ।