हिमाचल प्रदेश में बरसात के कारण भूस्खलन की घटनाएं बढ़ने से राज्य के कई इलाकों में भारी समस्या उत्पन्न हो गई है। शुक्रवार सुबह तक राज्यभर में 397 सड़कें बंद थीं, जबकि 631 बिजली ट्रांसफार्मर और 182 जल आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हुईं। मंडी जिले में 226 सड़कें, 250 ट्रांसफार्मर और 109 जल योजनाएं प्रभावित हैं। कुल्लू जिले में भी 117 सड़कें और 375 बिजली ट्रांसफार्मर बाधित हैं, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
बीती रात विभिन्न इलाकों में बारिश का रिकॉर्ड भी दर्ज हुआ है, जिसमें घाघस में 14.4 मिलीमीटर, मुरारी देवी 13.4 मिलीमीटर, बजौरा 9 मिलीमीटर और अन्य क्षेत्रों में भी कई मिलीमीटर बारिश हुई। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार, राज्य में 14 अगस्त तक बारिश जारी रहने की संभावना है, जबकि 11 से 14 अगस्त के बीच कई जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी है।
मानसून में अब तक 202 लोगों की मौत, भारी नुकसान
इस मानसून सीजन में 20 जून से 7 अगस्त के बीच प्रदेश में 202 लोगों की मौत हुई है, जबकि 307 लोग घायल हुए हैं और 37 अभी भी लापता हैं। सड़क दुर्घटनाओं में 94 लोगों की जान गई। साथ ही, बादल फटने, भूस्खलन और बाढ़ के कारण 2,189 घर और दुकानें क्षतिग्रस्त हुईं, 1,772 गोशालाएं भी प्रभावित हुई हैं, और 1,604 पालतू पशुओं की मृत्यु हुई है। अनुमानित आर्थिक नुकसान 1,95,251.23 लाख रुपये से अधिक पहुंच चुका है।
किन्नौर में एनएच-5 का हिस्सा छोटा वाहनों के लिए खोल दिया गया
किन्नौर जिले के रिब्बा क्षेत्र में रालढंग खड्ड में आई बाढ़ के कारण बंद हुए स्कीबा के पास एनएच-5 को शुक्रवार सुबह छोटे वाहनों के लिए खोल दिया गया है, जबकि भारी वाहनों के लिए मार्ग अभी भी बंद है। बीआरओ, पुलिस और जिला प्रशासन की टीम ने मलबा और चट्टानों को हटाने में सफलता हासिल की है। राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी भी मौके पर मौजूद रहे और राहत कार्यों का निरीक्षण किया।
शिमला में जल संकट गहराया, कई क्षेत्रों में चौथे दिन भी पानी नहीं
शिमला के गाद से गिरि पेयजल परियोजना में पाइप टूटने से राजधानी में जल आपूर्ति ठप हो गई है। इसके कारण शहर के कई इलाकों में लगातार चौथे दिन पानी की कमी बनी हुई है। वहीं, अनाडेल- विधान सभा मार्ग भी भूस्खलन के कारण सुबह तक बंद रहा।
मंडी-पंडोह हाईवे पर सड़क स्थिति चिंताजनक, वाहनों के लिए जोखिम
चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग के मंडी-पंडोह के बीच नौ मील क्षेत्र में सड़क की हालत खराब है। करीब 100 मीटर लंबा हिस्सा टूटा हुआ है और लगातार मलबा गिरने से वाहन चालकों और पर्यटकों के लिए खतरा बना हुआ है। स्थानीय लोग एनएचएआई और निर्माण कंपनी की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वरुण चारी ने बताया कि पहाड़ी की स्थिति अस्थिर है, इसलिए कटिंग कार्य रोक दिया गया है और इस स्थान पर 300 मीटर लंबा वायर डक ब्रिज बनाने की योजना है।