सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में दखल से किया इनकार, हिमाचल सरकार की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के एक आदेश में दखल देने से इनकार किया। हाईकोर्ट ने पुलिस को एक पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और राज्य के कुछ अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने पर रोक लगाई थी। आरोप था कि इन अधिकारियों ने व्यापारी को अपने परिवार की हिस्सेदारी एक निजी कंपनी को बेचने के लिए धमकाया। 

जस्टिस बी.वी.नागरत्ना और सत्येंद्र चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि वह हाईकोर्ट के आदेश में दखल नहीं देना चाहती। राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता अनुप कुमार रतन ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने व्यापारी की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच पूरी कर ली है। अब एसआईटी को अधिकार क्षेत्र वाले कोर्ट के समक्ष आरोपपत्र दाखिल करनी है। बेंच ने कहा कि मामला अभी भी हाईकोर्ट में लंबित है, जो आरोपपत्र दाखिल करने के पहलू की जांच करेगा। रतन ने कहा कि हाईकोर्ट ने प्राथमिकी में कुछ अतिरिक्त धाराएं जोड़ने का आदेश दिया है। 

जस्टिस नागरत्ना ने कहा, ‘अब जब जांच पूरी हो चुकी है, तो इस कोर्ट को दखल करने की जरूरत क्यों है? आप हाईकोर्ट के पास जाइए।’ हाईकोर्ट ने 23 सितंबर 2023 को एसआईटी की जांच पर असंतुष्टि जताई थी। टीम में दो महानिरीक्षक रैंक के अधिकारी संतोष कुमार पटियाल और अभिषेक दुलार शामिल थे।

हाईकोर्ट ने प्राथमिकी की और जांच करने का आदेश दिया। इस जांच में हिमाचल प्रदेश के पूर्व पुलिस प्रमुख संजय कुंदू पर आरोप था कि उन्होंने निजी लोगों के साथ मिलकर व्यापारी पर दबाव डाला। हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक अतुल वर्मा की ओर से दी गई दो रिपोर्ट पर ध्यान दिया, जिनमें जांच की प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए थे। इसके बाद हाईकोर्ट ने एसआईटी में एक और अधिकारी को शामिल करने और प्राथमिकी में जबरन वसूली की धारा को जोड़ने का आदेश दिया था। 

हालांकि, 23 सितंबर 2024 का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने एक अक्तूबर 2024 को कुंदू की याचिका पर स्थगित किया। हाईकोर्ट ने 22 मई, 2024 को पुलिस को आरोपपत्र दाखिल करने पर रोक लगाई। कोर्ट ने कहा था, जब तक आगे का आदेश न आए, एसआईटी को अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने से रोका जाता है। 

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