श्रीनगर में पानीपत का बेटे का हुआ निधन, दो महीने बाद होनी थी शादी

जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में पानीपत के जवान सत्यजीत (25) की संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से मौत हो गई. जवान का पार्थिव शरीर 12 फरवरी को उसके पैतृक गांव शेरा पहुंचा. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे. हालांकि, सलामी देने वाली सेना की टुकड़ी साथ नहीं आई. मतलौडा गांव में कुछ समय के लिए शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है, इसके बाद पैतृक गांव शेरा में ही इसका अंतिम संस्कार किया गया.

जवान का शव मंगलवार को श्रीनगर से हेलिकॉप्टर के जरिए दिल्ली भेजा गया था. दिल्ली से इसे इसके बाद सेना की एम्बुलेंस से घर पहुंचाया गया. सत्यजीत की करीब 2 महीने बाद 5 अप्रैल को शादी होनी थी. ऐसे में घर में तैयारियां चल रहीं थी. सत्यजीत खुद भी इसकी तैयारियों में जुटे हुए थे. 3 दिन पहले ही वह शादी की शॉपिंग कर ड्यूटी पर लौटे थे.

स्पोर्ट्स कोटे से हुई थी आर्मी में भर्ती

सत्यजीत शूटिंग में नेशनल लेवल के खिलाड़ी थे. उन्होंने गोल्ड मेडल भी जीता था. स्पोर्ट्स कोटे से ही वह आर्मी में भर्ती हुए थे. सत्यजीत के पिता सज्जन सिंह ने बताया है कि सत्यजीत 6 साल पहले स्पोर्ट्स कोटे से सेना की राष्ट्रीय राइफल्स (RR) बटालियन में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे. वह 2 साल पहले हवलदार के पद पर पदोन्नत हुए थे. भर्ती होने से पहले उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी कई मेडल जीते थे. उन्हें हाल में ही आर्मी कमांडर पत्र से भी नवाजा गया था.

अप्रैल में थी शादी

सज्जन सिंह ने कहा कि 2 महीने बाद सत्यजीत की शादी थी, इसलिए वह शॉपिंग के लिए छुट्टी पर घर आए थे. शादी के वक्त ज्यादा काम बाकी न रहे, इसलिए कपड़े तैयार करवा लिए थे. 9 फरवरी को ही वह छुट्टियां खत्म कर ड्यूटी पर लौटे थे. सज्जन सिंह बताते हैं कि 10 तारीख को उनके पास फोन आया कि सत्यजीत को गोली लगी है. ऐसे में ये सूचना मिलते ही पूरा परिवार चिंतित हो गया.

परिवार बेटे के स्वस्थ होने की कामना कर ही रहा था कि 11 फरवरी को दोबारा फोन आया और बताया गया कि सत्यजीत की मौत हो गई है. बेटे की मौत की सूचना मिलते ही परिवार में मातम छा गया. हालांकि, परिवार को यह नहीं पता लगा कि गोली किस तरह लगी है.

पिता हैं सूबेदार के पद से रिटायर

सत्यजीत के पिता सज्जन सिंह खुद सेना से सूबेदार के पद से रिटायर हैं. करीब 8 साल पहले वह सेना से रिटायर हुए थे. सत्यजीत अपने पिता सज्जन सिंह से काफी प्रभावित थे. वह हमेशा से ही अपने पिता की तरह देश की सेवा करना चाहते थे. यही कारण था कि स्पोर्ट्स में अच्छा करने के बावजूद उन्होंने सेना में जाना चुना. ऐसे में अब परिवार में सत्यजीत के एक छोटे भाई हैं, जो परिवार के साथ मतलौडा में रहते हैं. सत्यजीत के अंतिम संस्कार में मंत्री, विधायक व प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल होंगे. परिवार के सदस्य उनके शव को लेने के लिए दिल्ली रवाना हो गए हैं.

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