जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित फिदायीन हमले हमेशा सुरक्षा चुनौतियों को बढ़ाते रहे हैं। पिछले 17 वर्षों में कश्मीर और जम्मू संभाग में 18 ऐसे हमले दर्ज किए गए हैं।

कुपवाड़ा, बारामुला और गांदरबल जैसे सीमावर्ती जिलों में आतंकवादी बर्फ़बारी और दुर्गम रास्तों का फायदा उठाकर घुसपैठ की कोशिश करते हैं। वहीं, जम्मू संभाग के राजोरी, पुंछ और सांबा सेक्टर में धुंध का सहारा लेकर सीमा पार से घुसपैठ की साजिश रची जाती है। जैसे-जैसे तापमान गिरता है, घुसपैठ की कोशिशें बढ़ जाती हैं।

खुफिया एजेंसियों की रिपोर्टों के अनुसार, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन फिर से हमले की योजना बना रहे हैं। ये संगठन ड्रोन का उपयोग कर नियंत्रण रेखा पर कमजोर स्थानों की पहचान कर रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान की आईएसआई और सेना की एसएसजी इन आतंकवादी संगठनों को मदद पहुंचा रही है। स्थिति को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा और कड़ी कर दी गई है।