झारखंड के साहिबगंज जिले के भोगनाडीह गांव में सोमवार को हूल क्रांति दिवस के आयोजन के दौरान आदिवासी समुदाय और पुलिस के बीच तीव्र संघर्ष हो गया, जिसमें कई लोग घायल हुए हैं। बिना प्रशासनिक स्वीकृति के कार्यक्रम आयोजित किए जाने पर जब पुलिस ने टेंट हटाने की कार्रवाई की, तो वहां मौजूद लोगों में आक्रोश फैल गया। विरोध में आदिवासियों ने पथराव किया और फाउंडेशन समर्थकों ने तीर भी चलाए। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने लाठीचार्ज के साथ आंसू गैस का इस्तेमाल कर स्थिति को नियंत्रित किया।
अनुमति के बिना हुआ था कार्यक्रम, टकराव के बाद तनाव
सिदो-कान्हू मुर्मू हूल फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे। प्रशासन द्वारा अनुमति न मिलने के बावजूद आयोजन जारी रहा। इसी दौरान पुलिस की ओर से टेंट हटाने की कोशिश के बाद स्थिति बिगड़ गई।
पथराव और पुलिस कार्रवाई के दौरान कई ग्रामीणों के साथ-साथ पुलिसकर्मी भी घायल हुए। तीन पुलिसकर्मियों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। जिला उपायुक्त हेमंत सती समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद हैं और हालात पर नजर बनाए हुए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सरकार को घेरा
घटना को लेकर झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर झड़प का वीडियो साझा करते हुए पुलिस की कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय बताया। मरांडी ने दावा किया कि इस बर्बर लाठीचार्ज में कई निर्दोष ग्रामीण घायल हुए हैं।
उन्होंने कहा कि, “यह दृश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों की याद दिलाता है। हूल क्रांति की भूमि पर आज फिर सिद्धो-कान्हू के वंशजों को अन्याय के खिलाफ सड़क पर उतरना पड़ा है। राज्य सरकार नहीं चाहती कि आदिवासी समाज अपने पूर्वजों के बलिदान से प्रेरणा लेकर एकजुट हो।”
मरांडी ने सरकार पर घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह साजिश कभी कामयाब नहीं होगी। उन्होंने चेतावनी दी कि जिस प्रकार हूल आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव को हिलाया था, उसी तरह यह घटना हेमंत सरकार के अंत की शुरुआत बन सकती है।
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