महाराष्ट्र की राजनीति में पुणे नगर निगम (PMC) चुनाव से पहले हलचल तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) फिलहाल महायुति का हिस्सा होने के बावजूद विपक्षी कांग्रेस के साथ तालमेल बनाने की संभावनाओं को खंगाल रही है।
सूत्रों के मुताबिक, अजित पवार ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता सतेज पाटिल से हाल ही में फोन पर गठबंधन पर बातचीत का प्रस्ताव रखा। पाटिल ने प्रतिक्रिया में कहा कि इस मामले में पार्टी के भीतर चर्चा के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। कांग्रेस 165 सदस्यीय निकाय में सम्मानजनक हिस्सेदारी की उम्मीद कर रही है, जो उसके जमीनी आधार को मजबूत करने के लिहाज से अहम है।
एनसीपी फिलहाल भाजपा से अलग राह तलाशने की संभावना को परख रही है। वहीं, यह स्पष्ट किया गया है कि कांग्रेस से बातचीत अभी विचार के स्तर पर है और कोई औपचारिक सहमति नहीं बनी है।
कांग्रेस की शर्तें
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पुणे नगर निगम की कुल 165 सीटों में न्यूनतम हिस्सेदारी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। महाविकास आघाड़ी के वर्तमान सीट शेयरिंग फॉर्मूले के अनुसार पुणे लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस के हिस्से में आता है, इसलिए पार्टी इस चुनाव में अधिक सीटें हासिल कर अपने आधार को मजबूत करना चाहती है। यदि इसे संतोषजनक हिस्सेदारी मिलती है, तभी गठबंधन की राह संभव हो सकती है।
राजनीतिक हलचल तेज
इस बीच भाजपा और अजित पवार गुट वाली एनसीपी चुनाव अलग-अलग लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। कांग्रेस अपने महाविकास आघाड़ी सहयोगियों – शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी (एसपी) – के साथ भी तालमेल पर बातचीत कर रही है। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि आगामी चुनाव में संभावित गठबंधन की तस्वीर अभी धुंधली बनी हुई है।
कुल मिलाकर, अजित पवार का कांग्रेस से संपर्क पुणे नगर निगम चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल का संकेत है। हालांकि, सीटों की संख्या, रणनीति और मौजूदा गठबंधनों की मजबूरियां इस पहल को आसान नहीं बनने देंगी। आने वाले दिनों में ही यह स्पष्ट होगा कि यह कदम सियासी शतरंज की चाल साबित होता है या महज विचार के स्तर पर एक कोशिश।