लद्दाख सीमा के गलवान क्षेत्र में चारबाग के पास बुधवार को एक दुखद हादसे में विशाल चट्टान सेना के वाहन पर गिर पड़ी, जिससे पठानकोट निवासी लेफ्टिनेंट कर्नल भानु प्रताप सिंह (33) शहीद हो गए। वीरवार दोपहर उनका पार्थिव शरीर जब अबरोल नगर स्थित निवास पर पहुंचा, तो पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। बाद में उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

लेफ्टिनेंट कर्नल भानु प्रताप सेना की 14 हॉर्स रेजिमेंट में तैनात थे और वर्तमान में भारत-चीन सीमा पर लद्दाख में ड्यूटी निभा रहे थे। उनके शोकसंतप्त पिता रिटायर्ड कर्नल आरपीएस मनकोटिया, मां सुनीता मनकोटिया और पत्नी तारिणी गहरे दुःख में हैं। मासूम बेटे व्योम को अभी इस अपूरणीय क्षति का आभास तक नहीं है।

भानु प्रताप का पार्थिव शरीर लेह से एयरलिफ्ट कर पठानकोट एयरबेस लाया गया, जहां से फूलों से सजे सैन्य वाहन के जरिए उन्हें उनके घर लाया गया। पूरे इलाके में भावनात्मक माहौल रहा। श्मशान घाट में सेना की 23 पंजाब यूनिट की टुकड़ी ने कमांडिंग अफसर कर्नल पंकज राठी और टूआईसी गौरव शेट्टी के नेतृत्व में शस्त्र उलटकर और हवा में गोलियां चलाकर शहीद को अंतिम सलामी दी।

समारोह में वेस्टर्न कमांड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमके कटियार, जीओसी इन चीफ (अरट्रैक) लेफ्टिनेंट जनरल दविंदर शर्मा, लेफ्टिनेंट जनरल आर. पुष्कर, बलिदानी के ससुर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी, मेजर जनरल संजीव सलारिया समेत कई सैन्य अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। बलिदानी के भाई मेजर शौर्य प्रताप सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी, जिसके साथ ही 'भारत माता की जय' और 'शहीद अमर रहें' के नारों से वातावरण गूंज उठा।

पिता की आंखों में आंसू, दिल में गर्व
पिता कर्नल आरपीएस मनकोटिया ने नम आंखों से बताया कि घटना से कुछ घंटे पहले सुबह 7 बजे बेटे से उनकी बात हुई थी। वह फायरिंग रेंज जा रहे थे और वादा किया था कि शाम को दोबारा कॉल करेंगे, परंतु दोपहर बाद उन्हें यह दुखद समाचार मिला। उन्होंने कहा, "बेटे को खोने का गम जरूर है, लेकिन यह संतोष भी है कि उसने देश की सेवा करते हुए वीरगति पाई।"

नन्हा व्योम उठा रहा था फूल, सबकी आंखें भर आईं
शहीद का डेढ़ साल का बेटा व्योम कभी ताबूत को देख रहा था, तो कभी लोगों की ओर निहार रहा था। मासूमियत से वह ताबूत पर रखे फूल उठाकर पिता की तस्वीर के पास रख रहा था। यह दृश्य हर किसी की आंखें नम कर गया।