बागपत नगर पालिका में संपत्ति के नामांकन और स्टांप फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि केवल 50 रुपये के स्टांप पर 12-12 लाख रुपये के मकान खरीदे गए और नगर पालिका में इन स्टांपों के आधार पर संपत्ति कर रिकॉर्ड में लोगों के नाम दर्ज कर दिए गए। इन मकानों पर प्रधानमंत्री आवास योजना (प्रधानमंत्री आवास योजना) के तहत डूडा से ढाई लाख रुपये का लाभ उठाया गया।

नगर पालिका के रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2019 से 2022 तक दो सौ से अधिक प्लॉटों के स्टांप फाइलों में यह फर्जीवाड़ा दर्ज है। इन फाइलों में उल्लेख है कि 50 रुपये के स्टांप पर 12-12 लाख रुपये और 100 रुपये के स्टांप पर 16-16 लाख रुपये के मकान खरीदे गए। लेकिन इन प्लॉटों का बैनामा किसी ने जमा नहीं कराया।

विशेष सवाल यह है कि जब कोई व्यक्ति 12 से 16 लाख रुपये के प्लॉट खरीद सकता है, तो वह आर्थिक रूप से कमजोर कैसे माना जा सकता है। जांच में यह भी पाया गया कि संपत्ति कर रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने के बाद इन प्लॉटों पर डूडा से अतिरिक्त लाभ लिया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह पूरी प्रक्रिया सरकार को चूना लगाने के उद्देश्य से की गई थी।

सौ रुपये के स्टांप का इस्तेमाल नगर पालिका की दुकानों में भी किया गया। किसी की मौत होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ सिर्फ 100 रुपये के स्टांप के जरिए रिकॉर्ड में नाम बदल दिया गया। इसी तरह दस-बीस लाख रुपये की कीमत वाली 30 से अधिक दुकानों में भी नामांतरण हुआ।

इस फर्जीवाड़े में नगर पालिका के तत्कालीन चेयरमैन राजुद्दीन और संपत्ति कर अधिकारी सहित अन्य कर्मचारियों के खिलाफ आरोप हैं। अधिकारियों की लापरवाही से न केवल नगरपालिका को बड़ा नुकसान हुआ, बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना में भी गड़बड़ी सामने आई।

नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी केके भड़ाना ने बताया कि सभी रिकॉर्डों की विस्तृत जांच की जाएगी और शासन को स्थिति से अवगत कराया जाएगा। इसके आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।