समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को विपक्षी दलों के साथ-साथ एनडीए के सहयोगी दलों से भी अपील की कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की कथित कोशिशों के खिलाफ एकजुट हों। उन्होंने कहा कि भाजपा अपने सहयोगियों को भी सुरक्षित नहीं छोड़ेगी और समय आने पर सबसे पहले उन्हीं को राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचाएगी।
अखिलेश का आरोप है कि मतदाता सूची में गड़बड़ी कर वोट काटने की सुनियोजित कोशिश की जा रही है, जिसे रोकना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है।
“यह लोकतंत्र के साथ धोखाधड़ी”
एक बयान में अखिलेश यादव ने कहा कि एसआईआर (मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण) की प्रक्रिया में की जा रही अनियमितताएँ लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि आज मतदाता सूची से नाम हटाया जा रहा है, और अगर यह प्रक्रिया बेरोकटोक जारी रही तो भविष्य में जमीन, घर, राशन, जाति प्रमाणपत्रों और आरक्षण से जुड़े अधिकार भी प्रभावित हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यह स्थिति देश को ऐसी दहलीज पर ले जाएगी, जो "अंग्रेजों की गुलामी से भी अधिक भयावह" होगी।
अधिकारियों पर दबाव डालने का आरोप
सपा अध्यक्ष ने दावा किया कि प्रदेश के कई जिलों से शिकायतें मिली हैं कि जिला निर्वाचन अधिकारी, एडीएम (चुनाव), एसडीएम (ईआरओ) और सुपरवाइजर बीएलओ को दबाव में लेकर मतदाताओं के गणना प्रपत्र तीसरे विकल्प में सब्मिट करा रहे हैं।
उनके मुताबिक, यदि बीएलओ द्वारा फर्स्ट और सेकेंड विकल्प के अनुरूप पात्र मतदाताओं को भी थर्ड विकल्प में दर्ज कर दिया गया, तो 9 दिसंबर को प्रकाशित होने वाली मसौदा मतदाता सूची में बड़ी संख्या में मतदाताओं को ईआरओ नोटिस भेजे जाएंगे, जिनसे दस्तावेजों की मांग की जाएगी। इस प्रक्रिया में कई मतदाताओं के नाम 7 फरवरी की अंतिम सूची से हट सकते हैं।
मतदाता सूची प्रकाशन टालने की मांग
अखिलेश ने गणना प्रपत्रों से जुड़ी दिक्कतों को देखते हुए 9 दिसंबर को ड्राफ्ट रोल जारी करने की तारीख तीन महीने आगे बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि नए सिरे से और नियमानुसार गणना प्रपत्र भरे जाएँ, तभी मतदाता सूची पारदर्शी हो पाएगी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संघ परिवार, भाजपा सरकार और चुनाव आयोग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी मिलकर चुनावी प्रणाली को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।