मेरठ: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार को मेरठ के गन्ना भवन में आयोजित पंचायत में किसानों से धरना आंदोलन के माध्यम से अपनी आवाज उठाने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "जमीन किसान की है, लेकिन उस जमीन से होने वाली फसल के सही दाम तय करने की ताकत किसान के पास नहीं है। आंदोलन से ही परिणाम मिलते हैं।"
राकेश टिकैत ने सरकार की नीतियों पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पुराने ट्रैक्टर प्रदूषण के कारण रोके जा रहे हैं, लेकिन सरकारी ट्रक शहरों में दिन-रात आने-जाने के बावजूद मुक्त हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अब जो भी ट्रक मुजफ्फरनगर या अन्य जिलों में आएगा, उसे लौटने नहीं दिया जाएगा।
किसानों की समस्याओं का समाधान न होने पर राकेश टिकैत ने लखनऊ में बड़े आंदोलन की संभावना जताई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से वार्ता की जाएगी, लेकिन अगर किसानों की बात नहीं मानी गई, तो लखनऊ में ही प्रदर्शन किया जाएगा। इसके साथ ही अरनावली के पहाड़ों को बचाने के लिए भी आंदोलन किया जाएगा।
किसानों की प्रमुख मांगें:
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बिना तर्क के बढ़ाए गए 35% भाड़े में कटौती की जाए।
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भाड़ा पिछले पेराई सत्र के अनुसार समायोजित किया जाए।
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अस्वीकृत गन्ना प्रजातियों के मूल्य पुराने वर्षों की तरह बढ़ाए जाएं।
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अस्वीकृत प्रजातियों की खरीद सामान्य और अगेती के साथ संतुलित ढंग से की जाए।
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गन्ना तौल केंद्रों में हवाई दूरी के मानक के अनुसार भाड़ा लिया जाए।
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बाहरी राज्यों में उत्पन्न गन्ना प्रजातियों को प्रदेश में स्वीकृति दी जाए।
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रियल टाइम खतौनी में गड़बड़ी सुधारने के लिए लेखपाल-कानूनगो के भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए और अंश निर्धारण पूर्व की तरह प्रार्थना पत्र से कराया जाए।
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डोल बंदी, नामांतरण आदि किसानों से जुड़े पेंडिंग मामले तय समय सीमा में निस्तारित किए जाएं।
राकेश टिकैत ने स्पष्ट किया कि किसानों की मांगों पर गंभीरता से ध्यान न दिया गया तो आंदोलन तेज होगा।