ममता को फिर टांग दिया खूंटी पर !

बलात्कार, दुष्कर्म, यौन शोषण, रेप जैसे शब्दों को लिखना, पढ़ना, सुनना खुद में शर्मनाक है किन्तु हमारा दुर्भाग्य है कि नुकीले तीर जैसे इन शब्द बाणों को बर्दाश्त करने के लिए समाज विवश है। दिन प्रतिदिन होने वाली इन घृणित घटनाओं का उल्लेख करने या गिनाने में शर्म आती है किन्तु कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के बाद दक्षिण कलकत्ता के लॉ कॉलेज में हुई शर्मनाक घटना और इस गर्हित कांड पर पश्चिमी बंगाल के सत्ताधारियों की टिप्पणियों के बाद कुछ कहना जरूरी हो जाता है।

सामूहिक दुष्कर्म कांड के तीनों दोषी मनोजीत मिश्रा, प्रमित मुखोपाध्याय तथा जैब अहमद तृणमूल छात्र संगठन से जुड़े हैं। यह बीभत्स घटना कैसे घटी, यह सब मीडिया ने खोल दिया। महत्वपूर्ण यह है कि ममता नाम की मुख्यमंत्री बनी महिला ने पीड़िता के प्रति कैसी ममता प्रकट की। घटना पर मीडिया में ममता बनर्जी का बयान आया है। ममता नाम की महिला मुख्यमंत्री ने ममता को खूंटी पर टांग कर कहा- यदि किसी छात्रा के साथ कॉलेज परिसर के भीतर रेप करते हैं तो उसे बचाने पुलिस वहां कैसे जा सकती है। तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के लिए ममता का बचाव करने का यह एक इशारा था। ममता के कथन के बाद, उनके बयान से मिलता जुलता एक बयान टीएमसी के विधायक मदन मित्रा का आया। मित्रा ने कहा- अगर कॉलेज बन्द होने पर कोई बुलाये तो मत जाओ। लड़की वहां नहीं जाती तो यह घटना नहीं हुई होती। मदन मित्रा के इस बयान से पहले टीएमसी के बड़ बोले सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा था- एक दोस्त अपने दोस्त के साथ बलात्कार करता है तो आप सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करेंगे? क्या स्कूलों में हर समय पुलिस तैनात रहेगी?

टीएमसी नेताओं ने ममता बनर्जी के इशारे को समझा और बयान दाग दिये। जब ममता कोई ममता प्रकट नहीं करती। नारी के प्रति वह संवेद‌नाहीन है तो समर्थक उन्हीं की भाषा बोलेंगे। इनका शर्म, हया, मानवता से क्या वास्ता? आखिर टीएमसी का टिकट तो ममता का ढोल बजाने से मिलेगा।

टीएमसी नेताओं को 2 करोड़ घुसपैठियों की मदद करनी है, ईद पर मीट के पैकेट पहुंचाने हैं, सीएए व एनआरसी का राग अलापना है। अबलाओं को शीलहरण से बचाना इनका काम नहीं। ये टीएमसी के वोट बैंक के पहरूवे हैं, उसी की रक्षा करेंगे। इनकी मालकिन का यही सन्देश है।

पश्चिमी बंगाल को फिर से बुरे दौर से गुजरना पड़ रहा है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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