फर्जी बैंक गारंटी रैकेट की जांच के सिलसिले में चार जगहों पर ईडी की छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फर्जी बैंक गारंटी घोटाले की जांच के सिलसिले में शुक्रवार को भुवनेश्वर और कोलकाता में चार अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई उस मामले के आधार पर की गई है, जिसकी प्राथमिकी दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 11 नवंबर 2024 को दर्ज की थी। इसी एफआईआर को आधार बनाकर ईडी ने पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत अपनी जांच शुरू की है।

ईडी के मुताबिक, भुवनेश्वर की एक कंपनी पर संदेह है कि वह व्यावसायिक संस्थानों के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी करने का संगठित रैकेट चला रही थी। प्रारंभिक जानकारी में सामने आया है कि इस कंपनी ने रिलायंस समूह की एक इकाई के लिए लगभग 68 करोड़ रुपये की संदिग्ध बैंक गारंटी जारी की थी।

8% कमीशन पर गारंटी देने का आरोप

ईडी अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी के दौरान जिन परिसरों को खंगाला गया, उनमें तीन ओडिशा और एक पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित है। जांच के दौरान सामने आया कि कंपनी कथित रूप से 8 प्रतिशत कमीशन पर फर्जी बैंक गारंटी उपलब्ध करवाती थी। एजेंसी का कहना है कि यह गारंटी रिलायंस एनयू बीईएसएस लिमिटेड और महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड की ओर से सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को सौंपी गई थी, जिसे बाद में फर्जी पाया गया।

रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कंपनियों पर भी कार्रवाई

सूत्रों ने बताया कि इस मामले की कड़ी अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस समूह तक भी पहुंची है। एजेंसी ने हाल ही में मुंबई में इन कंपनियों के परिसरों पर छापेमारी की और लेनदेन से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए। कई अन्य कंपनियों के साथ किए गए संदिग्ध आर्थिक सौदों की भी जांच की जा रही है।

एसबीआई जैसा दिखने वाला फर्जी डोमेन किया इस्तेमाल

ईडी को यह भी पता चला है कि संबंधित कंपनी ईमेल संचार में sbi.co.in के बजाय मिलते-जुलते डोमेन s-bi.co.in का इस्तेमाल कर रही थी, ताकि भारतीय स्टेट बैंक के नाम पर नकली दस्तावेज तैयार किए जा सकें। ऐसा करके SECI को भ्रमित किया गया। इस डोमेन के पंजीकरण से जुड़ी जानकारी के लिए ईडी ने नेशनल इंटरनेट एक्सचेंज ऑफ इंडिया (NIXI) से विवरण मांगा है।

कंपनी का कोई ठोस आधार नहीं, करोड़ों के संदिग्ध ट्रांजेक्शन का शक

जांच में यह भी सामने आया है कि ओडिशा की यह फर्म केवल कागजों में मौजूद है। इसका पंजीकृत पता एक रिश्तेदार की रिहायशी संपत्ति है, जहां तलाशी के दौरान कंपनी से संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। ईडी को संदेह है कि यह इकाई फर्जी बिल तैयार करने और अघोषित बैंक खातों के जरिए करोड़ों रुपये के लेनदेन में शामिल रही है। बताया जा रहा है कि कंपनी के मुखिया ने अपने संवादों को छिपाने के लिए टेलीग्राम एप पर डिसएपियरिंग मैसेज फीचर का इस्तेमाल किया।

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