रिटायरमेंट के बाद आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने रहने के लिए जरूरी है कि समय रहते एक मजबूत निवेश योजना अपनाई जाए। सरकार की दो लोकप्रिय योजनाएं—पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)—ऐसे ही विकल्प हैं जो सुरक्षित निवेश और बेहतर रिटर्न का भरोसा देती हैं।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF): सुरक्षित और टैक्स-फ्री निवेश
पीपीएफ एक दीर्घकालिक बचत योजना है, जिसे खासतौर पर वेतनभोगी और नियमित आय वाले व्यक्तियों के लिए तैयार किया गया है। इसमें कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और डीए का 12% योगदान करता है और उतनी ही राशि नियोक्ता की ओर से भी जोड़ी जाती है।
- अधिकतम मासिक योगदान: ₹15,000 (स्वेच्छा से इससे अधिक भी जमा किया जा सकता है)
- ब्याज दर: वर्तमान में 8.25% प्रति वर्ष
- टैक्स लाभ: आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की छूट और ₹2.5 लाख तक की ब्याज आमदनी कर-मुक्त
- पांच साल की निरंतर सेवा के बाद मैच्योरिटी राशि पूरी तरह टैक्स फ्री हो जाती है
जो लोग निश्चित रिटर्न और टैक्स में छूट चाहते हैं, उनके लिए पीपीएफ एक भरोसेमंद विकल्प है।
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS): बाजार से जुड़ा दीर्घकालिक लाभ
18 से 70 वर्ष की आयु वाले सभी भारतीय नागरिक एनपीएस में निवेश कर सकते हैं। यह योजना पेंशन के उद्देश्य से बनाई गई है, जिसमें आपकी जमा राशि इक्विटी, डेट और सरकारी बॉन्ड में लगाई जाती है।
- न्यूनतम निवेश: ₹500
- टैक्स लाभ: धारा 80C और 80CCD(1B) के तहत कुल ₹2 लाख तक की छूट
- रिटर्न: बीते वर्षों में औसतन 8-10% सालाना
- निकासी: रिटायरमेंट पर 60% राशि एकमुश्त निकाली जा सकती है और शेष 40% से मासिक पेंशन के लिए एन्युटी लेनी होती है
हालांकि एनपीएस में रिटर्न बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, लेकिन लंबी अवधि में यह उच्च रिटर्न देने वाला विकल्प साबित हुआ है।