शुक्रवार सुबह इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाते हुए एक सटीक हमला किया, जिसमें कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक मारे गए। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने इसकी पुष्टि की है। इस घटना ने पश्चिम एशिया में पहले से चले आ रहे तनाव को और गहरा कर दिया है। स्वाभाविक रूप से इसका असर अंतरराष्ट्रीय तेल आपूर्ति और शिपिंग उद्योग पर भी पड़ा है।
जैसे ही हमले की खबर बाजार में फैली, शिपिंग कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिली। शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) के शेयर 198 रुपये पर खुलने के बाद 13.61% उछलकर 234.37 रुपये तक पहुंच गए। वहीं ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग के शेयरों में भी 6% से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
बाल्टिक ड्राई इंडेक्स में बढ़त, टैंकरों की मांग में इजाफा
पश्चिम एशिया में संकट का सीधा असर कच्चे माल की ढुलाई लागत और मांग पर पड़ता है। बाल्टिक ड्राई इंडेक्स, जो समुद्री व्यापार की शिपिंग दरों का सूचकांक है, बीते एक महीने में 50% तक उछला है। जून में अब तक इसमें 34% की वृद्धि देखी गई है, और गुरुवार को इसमें 9% की तेज़ी आई।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह तनाव और बढ़ता है, तो तेल व उत्पाद टैंकरों की मांग और भी तेज़ हो सकती है। ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग, जिसके बेड़े में 50% टैंकर शामिल हैं, ऐसे माहौल में मुनाफा कमा सकती है। जोखिम वाले क्षेत्रों से बचने के लिए लंबे रूट्स को अपनाने से भी शिपिंग की लागत बढ़ती है, जो इन कंपनियों के राजस्व को बढ़ा सकता है।
SCI में निवेशकों का बढ़ता भरोसा
शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) में भी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। मार्च 2025 तिमाही में म्यूचुअल फंड्स ने अपनी हिस्सेदारी 0.13% से बढ़ाकर 0.57% कर ली है। यह इस ओर इशारा करता है कि बाजार को SCI की संभावनाओं पर भरोसा है। एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी होने के कारण SCI को सरकारी समर्थन और मजबूत बुनियादी ढांचे का लाभ भी मिलता है।
ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग को भी फायदा
ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग के शेयरों में भी मजबूती देखी गई है। इसके पास तेल और उत्पाद टैंकरों की बड़ी फ्लीट है, जो इस भू-राजनीतिक स्थिति में अधिक कमाई कर सकती है। अगर तनाव लंबा खिंचता है, तो टैंकरों की मांग और रेट्स दोनों ही बढ़ सकते हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संभावित असर
पश्चिम एशिया की इस अशांति का असर सिर्फ शिपिंग उद्योग तक सीमित नहीं रहेगा। ईरान प्रतिदिन लगभग 20 लाख बैरल तेल का निर्यात करता है, जो वैश्विक आपूर्ति का लगभग 2% है। यदि इस सप्लाई में कोई रुकावट आती है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे भारत जैसे आयातक देशों पर असर पड़ेगा।
हालांकि शिपिंग कंपनियों के लिए यह एक अवसर भी बन सकता है। लंबी दूरी की मांग, ऊंचे शिपिंग रेट्स और सरकारी समर्थन की बदौलत SCI और ग्रेट ईस्टर्न शिपिंग जैसे खिलाड़ी इस संकट को मुनाफे में बदल सकते हैं।