क्या कभी किसी ने कल्पना की थी कि सिर्फ कुछ ही मिनटों में आपका पसंदीदा खाना सीधे आपके घर तक पहुंच सकता है? एक समय था जब यह केवल एक ख्वाब जैसा लगता था, लेकिन आज यह हकीकत बन चुका है। महज एक क्लिक पर खाना आपके दरवाजे पर हाज़िर होता है। यही सोच करीब 11 साल पहले श्रीहर्ष मजेटी के ज़हन में आई थी और यहीं से शुरू हुआ स्विगी का सफर।
हालांकि इस राह की शुरुआत इतनी आसान नहीं रही। श्रीहर्ष का पहला स्टार्टअप असफल रहा, बैंक अकाउंट में पैसे नहीं बचे थे, लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय एक नया रास्ता चुना—एक ऐसा आइडिया जिसे उस वक्त शायद ही किसी ने गंभीरता से सोचा हो।
बचपन से बिजनेस की समझ
आंध्र प्रदेश में जन्मे श्रीहर्ष एक डॉक्टर फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता रेस्टोरेंट चलाते थे, जिससे उन्हें खाने-पीने के कारोबार की समझ बचपन से ही मिल गई थी। उन्होंने BITS पिलानी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, फिर फिजिक्स में मास्टर्स किया और CFA लेवल 2 तक की परीक्षा भी पास की। इसके बाद IIM कलकत्ता से मैनेजमेंट की डिग्री ली, ताकि अपने बिजनेस ड्रीम को आकार दे सकें।
पहले साइकिल से यूरोप, फिर बिजनेस की दुनिया में कदम
पढ़ाई पूरी होने के बाद, कॉर्पोरेट करियर शुरू करने से पहले उन्होंने दुनिया देखने का फैसला किया। वे साइकिल से यूरोप यात्रा पर निकल पड़े और पुर्तगाल से ग्रीस तक 3500 किलोमीटर का रोमांचक सफर तय किया।
स्विगी की नींव कैसे रखी गई
वापसी के बाद उन्होंने एक लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप "Bundl" शुरू किया, जो सफल नहीं हो पाया। लेकिन इस नाकामी ने उन्हें रोकने की बजाय और मजबूत किया। फिर उन्होंने अपने दोस्त नंदन रेड्डी के साथ मिलकर 2014 में स्विगी की शुरुआत की—एक ऐसा फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जो पूरी तरह से तकनीक पर आधारित था और जिसमें ग्राहकों को सीधे मोबाइल ऐप से खाना मंगवाने की सुविधा दी गई।
6 अगस्त 2014 को लॉन्च के पहले दिन कोई ऑर्डर नहीं आया, लेकिन अगले दिन पहला ऑर्डर मिला और धीरे-धीरे ऑर्डर्स बढ़ने लगे। आज स्विगी ना सिर्फ एक बड़ा ब्रांड बन चुका है, बल्कि यह लाखों लोगों के लिए रोज़मर्रा की ज़रूरत भी बन गया है।