टाइटन आज भारत के प्रमुख लाइफस्टाइल ब्रांड्स में गिना जाता है। घड़ियों के लिए मशहूर यह कंपनी ‘टाइटन’ और ‘सोनाटा’ जैसे ब्रांड्स के अलावा ‘तनिष्क ज्वैलरी’, ‘फास्ट्रैक आइवियर’, ‘टाइटन आईप्लस’ और ‘स्किन’ जैसे प्रॉडक्ट्स की भी निर्माता है। अक्सर लोग मानते हैं कि यह पूरी तरह टाटा ग्रुप की कंपनी है, लेकिन सच्चाई कुछ और है—टाटा से ज्यादा हिस्सेदारी एक सरकारी कंपनी के पास है।
टाइटन में किसकी कितनी हिस्सेदारी है?
हालांकि कंपनी का संचालन टाटा ग्रुप के हाथ में है, लेकिन टाटा की हिस्सेदारी सिर्फ 25.02% है। वहीं पब्लिक शेयर होल्डिंग 47.02% है, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा विदेशी निवेशकों (17.25%) के पास है। म्यूचुअल फंड्स और इंश्योरेंस कंपनियों के पास क्रमशः 6.41% और 4.75% हिस्सेदारी है।
TIDCO: सबसे बड़ी हिस्सेदार
तमिलनाडु इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (TIDCO) टाइटन की सबसे बड़ी शेयरधारक है। यह सरकारी उपक्रम कंपनी के 27.88% शेयरों की मालिक है। टाटा ग्रुप और TIDCO मिलकर टाइटन के कुल 52.90% प्रमोटर शेयर होल्डिंग के मालिक हैं।
टाइटन की शुरुआत की दिलचस्प कहानी
टाइटन की नींव 1984 में रखी गई थी। उस समय टाटा ग्रुप भारत में स्वदेशी घड़ियों के निर्माण की योजना बना रहा था, लेकिन उनके पास इसके लिए जरूरी लाइसेंस नहीं था। वहीं सरकारी कंपनी TIDCO के पास यह लाइसेंस मौजूद था। इसीलिए दोनों ने मिलकर एक जॉइंट वेंचर की शुरुआत की।
इस साझेदारी के तहत टाटा को प्रबंधन की जिम्मेदारी मिली और TIDCO के जरिए लाइसेंस और फंडिंग तक पहुंच सरल हो गई। कंपनी का पहला प्लांट तमिलनाडु के होसूर में बनाया गया। आज टाइटन का बाजार मूल्य लगभग 3.20 लाख करोड़ रुपये है, जिससे TIDCO की हिस्सेदारी की कीमत करीब 89,000 करोड़ रुपये आंकी जा सकती है।