क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि डॉक्टर सिर्फ चश्मा पहनकर शरीर के अंदर की स्थिति को देख सकें या बिना बड़े चीरे के रोबोट सर्जरी कर दें? यह अब कोई कल्पना नहीं, बल्कि जल्द ही भारत में वास्तविकता बनने जा रही है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली ने जर्मनी की तकनीकी यूनिवर्सिटी TU Dresden के साथ मिलकर इस दिशा में पहल शुरू कर दी है। दोनों संस्थान मिलकर चिकित्सा क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), रोबोटिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी (XR) के उपयोग को बढ़ावा देने पर काम कर रहे हैं।
AIIMS और TU Dresden के बीच सहयोग, नई तकनीकों के इस्तेमाल की शुरुआत
हाल ही में दिल्ली में 16 से 18 जुलाई तक आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के दौरान दोनों संस्थानों के विशेषज्ञों, डॉक्टरों और इंजीनियरों ने मिलकर चिकित्सा में तकनीक के इस्तेमाल पर चर्चा की। इस अवसर पर एक ‘लेटर ऑफ इंटेंट’ पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे आने वाले समय में संयुक्त अनुसंधान और स्वास्थ्य नवाचार की नई परियोजनाएं शुरू होंगी।
नई तकनीकों से कैसे बदलेगा इलाज का तरीका
- AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस): इस तकनीक की मदद से डॉक्टर अब निदान, सर्जरी की योजना और रियल टाइम ऑपरेशन को अधिक कुशलता से अंजाम दे सकेंगे।
- XR (Extended Reality): इससे चिकित्सक मरीज के अंगों को त्रिआयामी रूप में देख सकेंगे, जिससे सर्जरी अधिक सुरक्षित और सटीक होगी। वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी तकनीकों की मदद से ऑपरेशन से पहले ही अंगों का स्पष्ट अध्ययन संभव होगा।
- Robotics: उन्नत रोबोटिक उपकरणों के उपयोग से सर्जरी के दौरान कटाई कम होगी, दर्द घटेगा और मरीज की अस्पताल में रहने की अवधि भी कम हो जाएगी। इससे जटिल ऑपरेशन भी सरल और कम समय में संभव होंगे।
विशेषज्ञों की राय
AIIMS के निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने कहा कि यह सहयोग भारत के चिकित्सा अनुभव और जर्मनी की तकनीकी विशेषज्ञता को मिलाकर स्वास्थ्य सेवाओं का नया वैश्विक मॉडल पेश करेगा। TU Dresden की रेक्टर प्रो. उर्सुला स्टाउडिंगर ने इसे मेडिकल और इंजीनियरिंग के समन्वय से मरीजों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली पहल बताया।
इस सहयोग से आम नागरिक को क्या लाभ?
- इलाज अधिक सटीक, तेज और किफायती होगा
- उन्नत तकनीक गरीब मरीजों तक भी पहुंचेगी
- भारत मेडिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी बनेगा
- मरीज की तेजी से रिकवरी होगी
- हेल्थ स्टार्टअप्स और डिजिटल नवाचार को बढ़ावा मिलेगा
- भारत-जर्मनी संबंधों को नई मजबूती मिलेगी
- भारत को वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व में नई पहचान
अब यह साझेदारी केवल प्रशिक्षण तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि जल्द ही रोबोटिक सर्जरी, स्मार्ट निदान, और दूरस्थ निगरानी जैसी परियोजनाएं शुरू होंगी। इस पहल से भारत और जर्मनी दोनों देशों के स्वास्थ्य स्टार्टअप्स और चिकित्सा क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी।