नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने बुधवार को पूरे भारत में बम विस्फोट कराने के लिए पाक समर्थित आतंकवादियों द्वारा रची गई साजिश से संबंधित इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) साजिश मामले में चार लोगों को 10 साल कैद की सजा सुनाई. हालांकि, फैसले ने उनकी रिहाई का मार्ग प्रशस्त कर दिया क्योंकि वे सभी पहले ही इतना समय जेल में काट चुके हैं.
विशेष न्यायाधीश शैलेन्द्र मलिक ने दानिश अंसारी, आफताब आलम, इमरान खान और ओबैद-उर-रहमान को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आतंकवाद रोधी कानून- गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत सजा सुनाई.
अदालत ने आदेश पारित करते हुए उल्लेख किया कि आरोपियों ने सात जुलाई को अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को स्वीकार कर लिया था. विशेष अदालत ने 10 जुलाई को इन्हें दोषी करार दिया था.
आतंकवादी मामलों के विशेष न्यायाधीश ने कहा कि दोषियों को 2013 में गिरफ्तार किया गया था और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि अन्य मामलों में उनकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है, तो उन्हें जेल में बिताई गई अवधि के आधार पर रिहा कर दिया जाए.
न्यायाधीश ने दोषियों की सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट का भी हवाला दिया और कहा कि वे समाज के निचले तबके से हैं. दानिश अंसारी के बारे में न्यायाधीश ने कहा कि वह किसी अन्य आपराधिक मामले में शामिल नहीं था, वह युवा था और उसने 12वीं कक्षा पूरी कर ली थी. अदालत ने कहा, ‘‘वह देश का बेहतर नागरिक बनने के लिए सामान्य, जिम्मेदार जीवन जीने का इरादा रखता है.’’