नई दिल्ली। ग्रामीण रोजगार योजना ‘जी राम जी’ को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस ने इस नए कानून को मनरेगा की जगह लेने वाला कदम बताते हुए केंद्र पर हमला बोला और इसे रोजगार गारंटी खत्म करने की तैयारी का हिस्सा बताया। वहीं भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया है।

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में एक वीडियो जारी कर कानून पर अपनी राय व्यक्त की और केंद्र सरकार को निशाने पर लिया। भाजपा के अमित मालवीय ने इसे खारिज करते हुए कहा कि सोनिया गांधी ने जी राम जी एक्ट का सही अध्ययन नहीं किया।

BJP का पलटवार
अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि सोनिया गांधी का लेख कानून या आंकड़ों के बजाय राजनीतिक कल्पना पर आधारित लगता है। उन्होंने कहा कि उनके तर्क झूठ पर आधारित हैं। मालवीय ने बताया कि मनरेगा को नेशनल एडवाइजरी काउंसिल संचालित करती थी, जिसे इतना प्रभावशाली माना जाता था कि इसे सुपर कैबिनेट और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से जोड़कर मजाक बनाया जाता था।

रोजगार गारंटी खत्म होने के आरोपों पर मालवीय ने कहा कि मनरेगा के तहत 100 दिन का काम मिलता था, जबकि जी राम जी के तहत यह बढ़कर 125 दिन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मनरेगा अब ग्रामीण आजीविका की मुख्य व्यवस्था नहीं बल्कि एक बैकअप सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करता है।

राज्यों पर बोझ के आरोपों का खंडन
राज्यों पर बोझ डालने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि राज्यों को पहले से ही सामग्री लागत का 25 प्रतिशत, प्रशासनिक खर्च और बेरोजगारी भत्ते का 100 प्रतिशत वहन करना पड़ता था। 2024-25 में 193.67 करोड़ रुपये का गबन हुआ, जिसमें केवल 5.32 प्रतिशत की रिकवरी हुई। मालवीय ने कहा कि नकली काम, मशीनों द्वारा मजदूरों की जगह लेना और डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम को नजरअंदाज करना मामूली गलतियां नहीं बल्कि गहरी संरचनात्मक कमियां थीं।

इस तकरार से स्पष्ट है कि जी राम जी कानून को लेकर राजनीतिक बहस अभी और तेज होने की संभावना है।