तिरुनेलवेली। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि भाजपा को ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द से आपत्ति है और वह इसे संविधान से हटाने की मानसिकता रखती है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की सत्ताधारी पार्टी देश की बहुलतावादी पहचान को कमजोर करना चाहती है।

तिरुनेलवेली में आयोजित एक क्रिसमस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने 19वीं सदी में भारत आईं ईसाई मिशनरी सारा टकर के योगदान को याद किया। स्टालिन ने कहा कि सारा टकर ने दक्षिणी तमिलनाडु में महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई और उनके प्रयासों से स्थापित शिक्षण संस्थानों ने समाज को नई दिशा दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएमके सरकार सभी धर्मों के लोगों के साथ समान व्यवहार में विश्वास करती है और अल्पसंख्यकों के कल्याण को प्राथमिकता देती है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। ईसाई समुदाय के लिए किए गए विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने चर्चों के निर्माण और पुनरुद्धार से जुड़ी योजनाओं की जानकारी दी।

स्टालिन ने कहा कि उनकी सरकार का विकास मॉडल समावेशी सोच पर आधारित है, जहां हर व्यक्ति की बुनियादी जरूरतों का ध्यान रखा जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियों से अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है।

भाजपा पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह ‘एक भाषा, एक धर्म, एक संस्कृति और एक नेता’ के विचार को आगे बढ़ाना चाहती है, जो देश की विविधता के लिए खतरा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु में इस तरह के किसी भी प्रयास को डीएमके सफल नहीं होने देगी और राज्य की सामाजिक सौहार्द और बहुलतावादी परंपरा की रक्षा की जाएगी।